NCERT important questions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 13 गीत – अगीत
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
‘गीत-अगीत’ कविता का कथ्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘गीत-अगीत’ कविता का कथ्य है-प्राकृतिक सौंदर्य और मानवीय प्रेम के मुखरित और मौन रूपों को चित्रित करना। इस कविता में एक ओर नदी, तोते और प्रेमी के माध्यम से प्रेम का मुखर रूप गीत और उसका प्रभाव बताया गया है तो दूसरी ओर गुलाब, शुकी और प्रेमिका के माध्यम से मौन रूप, जो अगीत बनकर रह गया है। इसके अलावा प्राकृतिक सौंदर्य का सुंदर चित्रण है।
प्रश्न 2.
गीत-अगीत कविता में नदी को किस रूप में चित्रित किया गया है? इसका ज्ञान कैसे होता है?
उत्तर-
कविता में नदी को विरहिणी नायिका के रूप में चित्रित किया गया है। इसका ज्ञान हमें उसके विरह भरे गीतों से होती है, जो वह किनारों को सुनाकर अपना जी हल्का करने के प्रयास में दिखती है। इसके अलावा वह तेज़ वेग से सागर से मिलने जाती हुई प्रतीत होती है।
प्रश्न 3.
प्रेमी और उसकी राधा के माध्यम से गीत-अगीत की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
साँझ होते ही प्रेमी जोश भरे स्वर में आल्हा का गायन कर अपने प्रेम की अभिव्यक्ति करता है। उसका यह प्रेम गीत बन जाता है। वहीं उस गीत को सुनकर उसकी राधा उसकी ओर खिंची चली आती है और भाव-विभोर हो उस गीत को सुनती है। उसके मन में भी प्रेम भरे गीत उमड़ते हैं, परंतु वह उन्हें स्वर नहीं दे पाती है। उसका प्रेम अगीत बनकर रह जाता है।
प्रश्न 4.
तोते का गीत सुनकर शुकी की क्या दशा हुई ?
उत्तर-
पेड़ की सघन डाल पर बैठा तोता वसंती किरणों के स्पर्श से पुलकित होकर गाने लगा। उसी पेड़ पर घोंसले में बैठी तोती (शुकी) अंडे से रही थी। तोते का गीत सुनकर तोती का हृदय प्रसन्न हो गया। उसके पंख फूल गए। शुकी के मन में भी प्रेम भरे गीत उमड़ने लगे, परंतु वह उन गीतों को मुखरित न कर सकी। ऐसे में उल्लसित शुकी के गीत अगीत बनकर रह गए।
प्रश्न 5.
तोते और शुकी के गीत का अंतर पठित कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
पठित कविता ‘गीत-अगीत’ से ज्ञात होता है कि पेड़ की डाल पर बैठा तोता वसंती किरणों का स्पर्श पाकर पुलकित हो जाता है और गाने लगता है जिसे सुनकर शुकी प्रसन्न हो जाती है, परंतु शुकी के मन में उभरने वाले गीत मुखरित नहीं हो पाते हैं। ये गीत उसके मन में दबे रहकर अगीत बने रह जाते हैं।
प्रश्न 6.
गीत-अगीत कविता का शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ विरचित कविता ‘गीत-अगीत’ में प्राकृतिक और मानवीय राग का सुंदर चित्रण है। कविता में तत्सम शब्दोंयुक्त खड़ी बोली का प्रयोग है जिसमें सरसता और लयात्मकता है। कविता में आए अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश और मानवीकरण अलंकार इसके सौंदर्य में वृद्धि करते हैं। भाषा इतनी चित्रात्मक है कि सारा दृश्य हमारी आँखों के सामने साकार हो उठता है। जगह-जगह वियोग एवं संयोग श्रृंगार रस घनीभूत हो उठा है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
प्रकृति अपने विभिन्न क्रिया-कलापों से मनुष्य को प्रभावित करती है। ‘गीत-अगीत’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्रकृति और मनुष्य का अत्यंत घनिष्ठ संबंध है। वह अपने विभिन्न क्रियाओं से मनुष्य को आंदोलित करती है। बहती नदी को देखकर लगता है कि वह गीत गा रही है और गीत के माध्यम से अपनी व्यथा किनारे स्थित पेड़-पौधों को बताना चाहती है। तोता पेड की हरी डाल पर गीत गाता है, जो शुकी को उल्लसित कर देता है। आल्हा गाता ग्वाल-बाल अपनी धुन में मस्त है उसे सुनने वाली नीम की ओट में खड़ी नायिका रोमांचित हो उठती है। प्रकृति में होने वाले गीत-अगीत का गायन मनुष्य को अत्यंत गहराई से प्रभावित करता है।
प्रश्न 2.
‘गीत-अगीत’ कविता में अगीत का चित्रण कवि द्वारा किस तरह किया गया है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘गीत-अगीत’ में कवि द्वारा गीत और अगीत दोनों का चित्रण साथ-साथ किया गया है। सबसे पहले गुलाब के माध्यम से दर्शाया गया है कि गुलाब सोचता है कि यदि विधाता उसे भी स्वर देते तो वह अपने सपनों का गीत सबको सुनाता। इसी प्रकार शुक का गीत सुनकर शुकी के मन में अनेक भाव उमड़ते हैं, पर वह उन्हें अभिव्यक्त नहीं कर पाती। इस तरह उसका गीत अगीत बनकर रह जाता है। अंत में ग्वाल-बाल का आल्हा सुनने उसकी प्रेमिका आती है, पर पेड़ की ओट में छिपकर सुनती रह जाती है। उसके मन के भाव मन में ही रह जाते हैं। इस तरह कविता में कई स्थानों पर अगीत का चित्रण हुआ है।
Discover more from EduGrown School
Subscribe to get the latest posts sent to your email.