
लेखक परिचय
अंतोन चेखव
इनका जन्म दक्षिणी रूस के तगनोर नगर में 1860 में हुआ था। इन्होनें शिक्षा काल से ही कहानियाँ लिखना आरम्भ कर दिया था। उन्नीसवीं सदी का नौवाँ दशक रूस के लिए कठिन समय था। तह वह समय था जब आज़ाद ख्याल होने से ही लोग शासन के दमन का करते थे। ऐसे समय में चेखव ने उन मौकापरस्त लोगों को बेनकाब करती कहानियाँ लिखीं जिनके लिए पैसा और पद ही सब कुछ था।
गिरगिट पाठ का सारांश Class 10 Short Summary
गिरगिट पाठ मशहूर रूसी लेखक चेखव की रचना है जिसमें उन्होंने उस समय की राजनितिक स्थितियों पर करारा व्यंग्य किया है. बड़े अधिकारीयों के तलवे चाटने वाले पुलिसवाले कैसे आम जनता का शोषण करते हैं इसे बड़े ही सुन्दर ढंग से चित्रित किया गया है. एक नागरिक को कुत्ते के कट लेने पर पहले तो पुलिस इंस्पेक्टर कुत्ते के खिलाफ बोलता है लेकिन जैसे ही उसे पता चलता है की कुत्ता बड़े अफसर का है तो तुरंत पलटी मार कर कुत्ते के पक्ष में बोलने लगता है. उसके बाद तो कहानी पूरी तरह अपने नाम को सार्थक करती नज़र आती है. लोगों की बातों के अनुसार जिस प्रकार पल-पल में वह रंग बदलता है उसे देखकर तो गिरगिट को भी शर्म आ जाये. लेकिन वह इतना ढीठ है की उस पर किसी बात का कोई असर नहीं होता और वह अंत तक केवल रंग ही बदलता रहता है. जनता के दुःख दर्द से उसे कोई लेना देना नहीं होता.

गिरगिट पाठ का सारांश Class 10 Detailed Summary
यह पाठ समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार पर एक व्यंग्य है। यह एक पुलिस इंस्पेक्टर द्वारा बताता है की व्यक्ति किस तरह अपने पद का दुरूपयोग अपने स्वार्थ के लिए करता है।
इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव नया ओवरकोट पहने हाथ में बंडल लिए बाज़ार के चौराहे से गुजरा। उसके पीछे लाल बालोंवाला एक सिपाही हाथों में झरबेरी की टोकरियाँ लिए चला आ रहा था। चारों ओर खामोशी थी। दुकानों के दरवाजे खुले थे परन्तु उनके आसपास कोई नहीं दिख रहा था।
तभी अचानक ओचुमेलॉव के कानों में एक आवाज़ गूँजी – ‘तो तू काटेगा? तू? शैतान कहीं का! ओ छोकरों! इसे मत जाने दो। पकड़ लो इस कुत्ते को। उसके बाद उसे कुत्ते की किकियाने की आवाज़ सुनाई दी। ओचुमेलॉव उस आवाज़ की दिशा में घुमा और पाया कि एक व्यापारी पिचुगिन के काठगोदाम में से एक कुत्ता तीन टाँगों के बल पर रेंगता चला आ रहा है। उसके पीछे एक व्यक्ति दौड़ रहा था। वह कुत्ते की टांगें पकड़कर फिर चीखा – ‘मत जाने दो।’ आवाज़ सुनकर भीड़ काठगोदाम घेरकर खड़ी हो गयी। ओचुमेलॉव भी मुड़कर भीड़ की तरफ चल दिया।
वहाँ एक बिना बटन वास्केट पहने आदमी अपना दायाँ हाथ उठाये मौजूद था और उपस्थित लोगों को उंगलियाँ दिखा रहा था। ओचुमेलॉव ने व्यक्ति को देखते पहचान लिया। वह ख्यूक्रिन नामक सुनार था। वहीँ पास में पड़ा एक सफ़ेद बाराजोई पिल्ला ऊपर से नीचे तक काँप रहा था। भीड़ को चीरते हुए ओचुमेलॉव ने पूछा – यह सब क्या हो रहा है? तुम सब लोग इधर क्या कर रहे हो? ऊँगली ऊपर क्यों उठा रखी है? चिल्ला कौन रहा था? इन सवालों के जवाब में ख्यूक्रिन ने खाँसते हुए कहा की जब मैं मित्री मित्रिच से लकड़ी लेकर कुछ काम निपटाने के लिए चुपचाप चला जा रहा था तब इस कुत्ते ने अकारण मेरी ऊँगली काट खाई। चूँकि मेरा काम पेचीदा है और मुझे लगता है अब एक हफ्ते तक मेरी ऊँगली काम नहीं कर पाएगी इसलिए हुजूर मुझे इस कुत्ते के मालिक से हरजाना दिलवाया जाए। यह किसी कानून में नही लिखा की आदमखोर जानवर हमें काट खायें और हम इन्हें छोड़ते रहें।
ओचुमेलॉव ने अपना गला खँखारते हुए बोला की ठीक है बताओ यह कुत्ता किसका है। मैं इस मामले को छोड़ने वाला नही हूँ। इस तरह अपने कुत्ते को आवारा छोड़ने वाले मालिक को मैं मजा चखा कर रहूँगा। उसने सिपाही की तरफ मुड़कर कहा – येल्दीरीन पता लगाओ यह कुत्ता किसका है और पूरी रिपोर्ट तैयार करो। इस कुत्ते को मार दो। तभी भीड़ से एक आवाज़ आई शायद यह कुत्ता जनरल झिगालॉव का है।
जनरल झिगालॉव का नाम सुनते ही ओचुमेलॉव को गर्मी लगने लगती है और वह कोट उतारने लगता है। वह ख्यूक्रिन की तरफ मुड़कर कहता है की मुझे समझ नहीं आ रहा की इतना छोटा जानवर तेरी ऊँगली तक पहुँचकर काट कैसे सकता है। जरूर तेरे ऊँगली में कील गड गई होगी और तू यह दोष इस कुत्ते पर मढ़कर अपना फयदा सोच रहा है। जरूर इसने ही कुत्ते के साथ शरारत की होगी। सिपाही येल्दीरीन भी ओचुमेलॉव की बातों में हाँ मिलाते हुए ख्यूक्रिन को शरारती बताता है। ख्यूक्रिन भी कहता है की उसका एक भाई पुलिस में है।
थोड़ी देर में सिपाही कहता है की यह कुत्ता जनरल साहब को नहीं हो सकता क्योंकि उनके सभी कुत्ते पोंटर हैं। ओचुमेलॉव भी कहता है की जनरल साहब के सभी कुत्ते महँगे और अच्छी नस्ल के हैं। यह मरियल सा कुत्ता उनका नहीं हो सकता। इसे सबक सिखाना जरूरी है। सिपाही गंभीरता से सोचते हुए फिर कहता है ऐसा कुत्ता कल ही मैंने जनरल साहब के आँगन में देखा था शायद यह कुत्ता उन्हीं का हो। भीड़ में से भी आवाज़ आती है यह कुत्ता जनरल साहब का ही है। अब ओचुमेलॉव को ठंड लगने लगती है और वह सिपाही को कोट पहनाने में मदद करने बोलता है। वह बोलता है जनरल साहब के पास ले जाकर पता लगाओ की यह कुत्ता उनका है और उनसे कहना मैंने इसे उनके पास भेजा है। इस तरह इस नाजुक प्राणी को बाहर ना छोड़ें नहीं तो गुंडे-बदमाशों के हाथों यह तबाह हो जाएगा। वह ख्यूक्रिन को भद्दा प्राणी कहते हुए उसे ऊँगली नीचे करने को कहता है।
तभी उधर से जनरल साहब को बावर्ची प्रोखोर आता दिखता है। ओचुमेलॉव उसे आवाज़ देकर बुलाता है और पूछता है की कुत्ता जनरल साहब का है? बावर्ची कहता है की ऐसा कुत्ता उसने कई जिंदगियों में नहीं देखा। तभी ओचुमेलॉव कहता है की मैंने तो पहले ही कहा था इस आवारा कुत्ते को मार दिया जाए। बावर्ची फिर कहता है की यह कुत्ता जनरल साहब का तो नहीं परन्तु उनके भाई है जो अभी यहाँ पधार हैं। उन्हें ‘बारजोयस’ नस्ल के कुत्ते पसंद हैं। ओचुमेलॉव ने अपने चेहरे पर ख़ुशी समेटते हुए कहा की जनरल साहब के भाई वाल्दीमीर इवानिच पधारे हैं और मुझे पता तक नहीं। कितना सुन्दर डॉगी है। बहुत खूबसूरत पिल्ला है। प्रोखोर कुत्ते को संभालकर काठगोदाम से बाहर चला गया। भीड़ ख्यूक्रिन की हालत पर हँस दी। ओचुमेलॉव ने उसे धमकाकर अपने रास्ते चल दिया।
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