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Class 12 Hindi कार्यालयी पत्र
कार्यालयी पत्र
पत्र लिखना भी एक बहुत बड़ी और अद्भुत कला है। यह कला परिश्रम व अभ्यास द्वारा ही हासिल की जा सकती है। सही ढंग से लिखा गया पत्र न केवल हमारा प्रभुत्व बढ़ाता है, बल्कि हमारे व्यक्तित्व की छाप भी पाठक पर अवश्य छोड़ता है। हम पत्रों के माध्यम से न केवल दूसरों के दिलों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि मैत्री बढ़ा सकते हैं तथा अपने समाज को वश में कर सकते हैं। अतः पत्र लिखना एक ऐसी कला है जिसके लिए बुद्धि और ज्ञान की परिपक्वता, विचारों की विविधता, विषय का ज्ञान, अभिव्यक्ति की शक्ति और भाषा पर नियंत्रण की आवश्यकता होती है। इसके बिना हमारे पत्र अत्यंत साधारण होंगे। पत्र केवल हमारे कुशल समाचारों के आदान-प्रदान का माध्यम ही नहीं, बल्कि उसके द्वारा आज के वैज्ञानिक युग में संपूर्ण कार्य व्यापार चलता है तथा इसकी आवश्यकता और उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता। अतः इसे लिखने और इसके आकार-प्रकार की पूरी जानकारी होनी अतिआवश्यक है।
पत्र-लेखन की विशेषताएँ –
1. सरलता – पत्र की भाषा सरल, स्वाभाविक तथा स्पष्ट होनी चाहिए। इसमें कठिन शब्द या साहित्यिक भाषा का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि जटिल व क्लिष्ट भाषा के प्रयोग से पत्र नीरस व प्रभावहीन बन जाते हैं।
2. स्पष्टता – जो भी हमें पत्र में लिखना है, यदि वह स्पष्ट, सुमधुर होगा तो पत्र उतना ही प्रभावशाली होगा। सरल भाषा शैली, शब्दों का चयन, वाक्य रचना की सरलता पत्र को प्रभावशाली बनाने में हमारी सहायता करती है। इसलिए भारी भरकम और अप्रचलित शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए तथा छोटे व प्रवाहपूर्ण वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए। हमें ऐसे विचार नहीं लिखने चाहिए जो अस्पष्ट हों।
3. संक्षिप्तता – पत्र में अनावश्यक विस्तार से बचना चाहिए। पत्र जितना संक्षिप्त व गठा हुआ होगा, उतना ही अधिक प्रभावशाली भी होगा। संक्षिप्तता का अर्थ यह भी नहीं कि पत्र अपने-आप में पूर्ण न हो। जो कुछ भी पाठक द्वारा कहा जाना है, वह व्यर्थ के शब्द-जाल से मुक्त होना चाहिए। अतः जो कुछ भी पत्र में कहा जाए, कम से कम शब्दों में कहना चाहिए।
4. प्रभावोत्पादकता – पत्र की शैली से पाठक प्रभावित हो सके तभी वह सफल मानी जाती है। हमारे विचारों की छाप उस पर पड़नी चाहिए, अतः इसके लिए शैली का परिमार्जित होना भी आवश्यक होता है। अच्छी व शुद्ध भाषा के बिना पत्र अपना असली रूप ग्रहण नहीं करता। वाक्यों का नियोजन, शब्दों का प्रयोग, मुहावरों का प्रयोग-अच्छी भाषा के गुण होते हैं। हमें सदा इसका प्रयोग करके पत्र को प्रभावशाली बनाने का प्रयास करना चाहिए।
5. आकर्षकता व मौलिकता – पत्र का आकर्षक होना भी महत्त्वपूर्ण होता है। विशेषकर व्यापारिक व कार्यालयी पत्र स्वच्छता से टाइप किया हुआ होना चाहिए। मौलिकता भी पत्र का एक महत्त्वपूर्ण गुण है। पत्र लिखते समय प्रचलित घिसे-पिटे वाक्यों के प्रयोग से बचना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि पत्र में हम अपने विषय में कम तथा प्राप्तकर्ता के विषय में अधिक लिख रहे हों।
6. उददेश्यपूर्णता – कोई भी पत्र अपने कथन या मंतव्य में स्वत: संपूर्ण होना चाहिए। उसे पढने के उपरांत तदविषयक किसी प्रकार की जिज्ञासा, शंका या स्पष्टीकरण की आवश्यकता शेष नहीं रहनी चाहिए। कई बार देखा गया है कि पत्र लेखक जिस विचार से पत्र लिखना आरंभ करता है, वह अप्रकट या अपूर्ण रह जाता है, लेकिन फिजूल बातों से ही पत्र भर जाता है। इसलिए पत्र लिखते समय इस बात का विशिष्ट ध्यान रखा जाना चाहिए कि कथ्य अपने-आप में पूर्ण तथा उद्देश्य की पूर्ति करने वाला हो।
7. शिष्टता – किसी पत्र में उसके लेखक के व्यक्तित्व, स्वभाव, पद-प्रतिष्ठा-बोध और व्यावहारिक आचरण की झलक मिलती है। सरकारी, व्यावसायिक तथा अन्य औपचारिक पत्र की भाषा-शैली शिष्टतापूर्ण होनी चाहिए। अस्वीकृति, शिकायत, खीझ या नाराजगी भी शिष्ट भाषा में प्रकट की जाए तो उसका अधिक लाभकारी प्रभाव पड़ता है। उदाहरणतः किसी आवेदनकर्ता के आवेदन की अस्वीकृति इन शब्दों में भेजी जा सकती है –
‘खेद है कि हम आपकी सेवाओं का उपयोग नहीं कर सकेंगे।’
8. चिह्नांकन-पत्र में प्रयुक्त चिह्न पर हमें विशेष ध्यान देना चाहिए। चिह्नांकन अनुच्छेद (पैराग्राफ) का प्रयोग समुचित किया जाना चाहिए। हर नए विचार, नई बात के लिए पैराग्राफ, अल्पविराम, अर्ध विराम, पूर्णविराम, कोष्ठक आदि का प्रयोग उचित स्थल पर ही होना चाहिए। इससे पत्र-कला में निखार आता है।
पत्र के अंग
पत्र अनेक प्रकार के होते हैं। विषय, संदर्भ, व्यक्ति और क्षेत्र के अनुसार अनेक प्रकार के पत्रों को लिखने का तरीका भी भिन्न-भिन्न होता है। यहाँ हम व्यावसायिक (औपचारिक) तथा निजी (अनौपचारिक) पत्रों के लिखने के लिए आवश्यक तथ्यों-संकेतों पर प्रकाश डालेंगे –
(क) प्रेषक का नाम व पता-व्यावसायिक पत्रों में सबसे ऊपर लिखने वाले का नाम व पता दिया होता है ताकि पाने वाला पत्र देखते ही समझ जाए कि पत्र किसने भेजा है और कहाँ से आया है ? प्रेषक का नाम व पता ऊपर की ओर दाएँ कोने में दिया जाता है। पते के नीचे टेलीफ़ोन नंबर तथा उसके नीचे दिनांक के लिए स्थान निर्धारित रहता है। सरकारी पत्रों में उसके ठीक सामने बाईं ओर पत्र का संदर्भ व पत्र-संख्या लिखी जाती है।
(ख) पाने वाले का नाम व पता-प्रेषक के बाद पृष्ठ की बाईं ओर पत्र पाने वाले का नाम व पता लिखा जाता है। नाम की जगह कभी-कभी केवल पदनाम भी लिखते हैं। कभी-कभी नाम व पदनाम दोनों भी लिखा जाता है अर्थात् पाने वाले का पूरा विवरण इस प्रकार होना चाहिए- नाम, पदनाम, कार्यालय का नाम, स्थान, जिला, शहर और पिन-कोड।
(ग) विषय-संकेत-औपचारिक पत्रों में यह आवश्यक होता है कि जिस विषय में पत्र लिखा जा रहा है, उस विषय को अत्यंत संक्षेप में पाने वाले के नाम और पते के पश्चात् बाएँ ओर से ‘विषय’ शीर्षक देकर लिखना चाहिए। इससे पत्र देखते ही पता चल जाता है कि मूल रूप में पत्र का विषय क्या है।
(घ) संबोधन-विषय के बाद पत्र के बाईं ओर संबोधन सूचक शब्द का प्रयोग किया जाता है। व्यक्तिगत पत्र में प्रिय लिखकर प्राप्तकर्ता का नाम या उपनाम दिया जाता है; जैसे–’प्रिय रमेश’, ‘प्रिय राधा’ आदि। अपने से बड़ों के लिए प्रिय के स्थान पर पूज्य, मान्यवर, श्रद्धेय आदि शब्दों का प्रयोग होता है। सरकारी पत्रों में यह कार्य ‘प्रिय महोदय’ या प्रिय महोदया के द्वारा संपन्न कर लिया जाता है।
(ङ) पत्र की मुख्य सामग्री-संबोधन के पश्चात् पत्र की मूल सामग्री लिखी जाती है। आवश्यकता, समय तथा परिस्थिति के अनुसार विषय में परिवर्तन होता रहता है।
(च) समापन-सूचक शब्द-पत्र की सामग्री समाप्त होने पर प्रेषक प्राप्तकर्ता से अपने संबंध और विषय की औपचारिकता अनौपचारिकता के अनुसार कुछ समापन सूचक शब्दों का प्रयोग कर पत्र समाप्त करता है। बड़ों के लिए ‘आपका आज्ञाकारी’, ‘आपका प्रिय’, बराबर वालों के लिए ‘स्नेहशील’, दर्शनाभिलाषी’, ‘स्नेही’ और छोटों के लिए ‘शुभचिंतक’, ‘शुभाकांक्षी’ जैसे शब्द प्रयोग किये जाते हैं। औपचारिक व्यावसायिक पत्रों में साधारणतः ‘भवदीय’ लिखा जाता है। उपर्युक्त सभी समापन शब्द मूल सामग्री के तुरंत बाद नई पंक्ति में दाएँ कोने में लिखा जाना चाहिए।
(छ) हस्ताक्षर और नाम-समापन शब्द के ठीक नीचे भेजने वाले के हस्ताक्षर होते हैं। हस्ताक्षर के ठीक नीचे कोष्ठक में भेजने वाले का पूरा नाम व पता भी अवश्य दिया जाना चाहिए। इसका कारण यह है कि हस्ताक्षर प्रायः सुपाठ्य नहीं होते, अतः प्रेषक का नाम भी लिखा होना चाहिए।
(ज) संलग्नक-सरकारी-पत्रों में प्रायः मूलपत्र के साथ अन्य आवश्यक कागजात भी भेजे जाते हैं। इन्हें उस पत्र के ‘संलग्न पत्र’ या ‘संलग्नक’ कहते हैं। इस स्थिति में समापन सूचक शब्द ‘भवदीय’ आदि के ठीक बाएँ और थोड़ा नीचे ‘संलग्नक’ शीर्षक देकर उसके आगे संख्या 1, 2, 3, के द्वारा संकेत दिया जाता है।
(झ) पुनश्च-कभी-कभी पत्र लिखते समय मूल सामग्री में से किसी महत्त्वपूर्ण अंश के छूट जाने पर इसका प्रयोग होता है। ‘समापनसूचक शब्द’, ‘हस्ताक्षर’, ‘संलग्नक’ आदि सब कुछ लिखने के पश्चात् कागज पर अंत में सबसे नीचे या उसके पृष्ठ भाग पर ‘पुनश्च’ शीर्षक देकर छूटी हुई सामग्री लिखकर एक बार पुनः हस्ताक्षर कर दिए जाते हैं।
औपचारिक व अनौपचारिक पत्र आरंभ तथा समाप्त करने की तालिका
उपर्युक्त समस्त आवश्यक बातों को व्यावहारिक रूप में समझने के लिए निम्नलिखित प्रारूप प्रस्तुत किए जा रहे हैं –
पत्रों के प्रकार
विभिन्न प्रकार के पत्रों का विभाजन मूलतः दो वर्गों में किया जा सकता है –
- औपचारिक पत्र
- अनौपचारिक पत्र
1. औपचारिक पत्र-विशिष्ट नियम-विधानों में आबद्ध पत्र ‘औपचारिक पत्र’ कहलाते हैं। औपचारिक पत्रों की परिधि बहुत व्यापक है। इसके अनेकानेक रूप अथवा प्रकार संभव हैं जिनमें से मुख्य निम्नलिखित हैं –
- सरकारी पत्र
- व्यावसायिक पत्र
- संपादक के नाम पत्र
- शोक पत्र
- अर्धसरकारी पत्र
- आवेदन पत्र
- शिकायती पत्र
- निमंत्रण पत्र
- विज्ञापन पत्र
- अनुस्मारक पत्र
- बधाई पत्र
- शुभकामना पत्र।
इन सभी प्रकार के पत्रों के उत्तर में लिखे जाने वाले पत्र भी अपना अलग अस्तित्व और महत्त्व रखते हैं। इस प्रकार औपचारिक पत्रों के अनेक भेद संभव हैं।
2. अनौपचारिक पत्र-जो पत्र निजी, व्यक्तिगत अथवा पारिवारिक होते हैं, वे ‘अनौपचारिक-पत्र’ कहलाते हैं। ऐसे पत्रों में किसी प्रकार की विशेष विधि अथवा नियम-पद्धति के पालन की आवश्यकता नहीं होती। इस पत्र में किसी तरह की औपचारिकता के निर्वाह का बंधन नहीं होता। इन पत्रों में प्रेषक अपनी बात व भावना को उन्मुक्तता के साथ, बिना संकोच के लिख सकता है। इन पत्रों का प्राण तत्व आत्माभिव्यक्ति, निजीपन और आत्मीयता है। ये आकार-प्रकार में अत्यंत लचीले होते हैं, अर्थात् संक्षिप्त भी हो सकते हैं तो अत्यंत विस्तृत भी।
उदाहरण
औपचारिक पत्र
प्रश्नः 1.
दिल्ली परिवहन निगम के मुख्य प्रबंधक को पत्र लिखकर एक बस कर्मचारी के प्रशंसनीय और साहसिक व्यवहार की सूचना देते हुए उसे सम्मानित करने का आग्रह कीजिए।
उत्तरः
प्रति महाप्रबंधक
दिल्ली परिवहन निगम
सिंधिया हाउस, नई दिल्ली।
महोदय
मैं इस पत्र के द्वारा आपका ध्यान आपके विभाग के एक साहसी तथा कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारी के व्यवहार की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ तथा आशा करता हूँ कि आप उस कर्मचारी को उचित पुरस्कार देकर सम्मानित करेंगे।
मैं दिनांक 6 फरवरी को विकासपुरी मोड़ से 851 रूट की बस नं0 DL-1P-7486 में प्रात:काल 7-30 बजे चढ़ा। बस में काफ़ी भीड़ थी। अत: मैं पीछे ही खड़ा था। बस मोतीनगर पहुँची थी कि आठ-दस लोगों की भीड़ पीछे से चढ़ी और तभी मेरी जेब से मेरा पर्स गायब हो गया। मैंने शोर मचाया, तो एक व्यक्ति बस से कूद कर भाग निकला। कंडक्टर श्री रविकांत ने बस रुकवाई और उसके पीछे भाग लिया। उस व्यक्ति ने चाकू दिखाया, मगर इसका रविकांत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और उसने उसे धर दबोचा तथा उसे पुलिस के हवाले कर दिया। मेरा पर्स सही सलामत मुझे वापस मिल गया। मैंने उसे सौ रुपये पुरस्कार स्वरूप देने चाहे, मगर उसने सधन्यवाद लौटा दिये। ऐसे कर्तव्यनिष्ठ एवं साहसी कर्मचारी कम ही देखे जाते हैं, जो अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों की सहायता करते हैं। अतः आप से निवेदन है कि श्री रविकांत, जिनका बैज नं० 34560 है, को सम्मानित करके अन्य कर्मचारियों के समक्ष उदाहरण प्रस्तुत करें।
भवदीय
रमेश गुप्ता
644, विकासपुरी, नई दिल्ली
दिनांक : 11 फरवरी, 20XX
प्रश्नः 2.
अपने क्षेत्र के पोस्टमास्टर साहब को इस आशय का पत्र लिखिए कि आपके क्षेत्र में डाक का वितरण ठीक से नहीं हो रहा है।
उत्तरः
सेवा में
पोस्टमास्टर महोदय
डाकघर राजौरी गार्डन
नई दिल्ली
महोदय
मैं राजौरी गार्डन बी-27 का रहने वाला हूँ। मैं इस पत्र के द्वारा अपने क्षेत्र की डाक वितरण की अनियमितताओं की ओर आपका ध्यान दिलाना चाहता हूँ।
मान्यवर, पिछले चार माह से इस क्षेत्र में डाक-वितरण का काम ठीक से नहीं हो रहा है। पोस्टमैन पत्रों को या तो घरों के जीने में फेंक जाता है या जीने के सामने खड़े किसी बच्चे के हाथ में पकड़ा जाता है। अनेक बार महत्त्वपूर्ण पत्र या तो दूसरे के घरों में पहुँच जाते हैं या देर से मिलते हैं। डाक-वितरण की व्यवस्था दिन में तीन बार है, जबकि हमारे पोस्टमैन महोदय एक से अधिक बार नहीं आते। हमारे क्षेत्र के निवासियों की आम शिकायत है कि ये पोस्टमैन साहब त्यौहारों के अवसर पर बखशीश देने को बाध्य करते हैं तथा न देने वालों की डाक में गड़बड़ी कर देते हैं। कई बार हमने पोस्टमैन को समझाने की चेष्टा की, मगर उसके कान पर तक न रेंगी। इसीलिए हारकर हमें आपका दरवाजा खटखटाना पड़ा। अतः आपसे प्रार्थना है कि आप इस विषय में जाँच-पड़ताल कर डाक वितरण ठीक करने की कृपा करें तथा संबंधित पोस्टमैन को उचित चेतावनी देकर यथासंभव उन्हें दंडित करें। इसके लिए हम आपके सदैव आभारी रहेंगे।
धन्यवाद।
भवदीय
जे० पी० गुप्ता
सचिव
राजौरी गार्डन कल्याण समिति,
नई दिल्ली।
दिनांक : 16-3-20XX
प्रश्नः 3.
अपने नगर विकास प्राधिकरण के सचिव को अपनी कालोनी के पार्क के विकास के लिए पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
सचिव
दिल्ली नगर विकास प्राधिकरण
टाउन हाल
दिल्ली
महोदय
मैं आपका ध्यान दिल्ली महानगर के शक्तिनगर क्षेत्र के पार्क की अव्यवस्था और उपेक्षा की ओर दिलाना चाहता हूँ। इस क्षेत्र में दिल्ली विकास प्राधिकरण की ओर से पार्क के लिए स्थान छोड़े गए हैं। उनकी चारदीवारी भी की गयी है, लेकिन इससे आगे कोई कदम लगातार दो वर्षों से आगे नहीं बढ़ा है। दुख और चिंता की बात यह है कि पार्कों के लिए इन छोड़ी हुई जगहों में कूड़ों के ढेर दिखाई देने लगे हैं। इससे बड़ी बदबू आती है। बीमारी के बढ़ने की आशंका भी पैदा हो गई है।
यदि पार्क के लिए छोड़े हुए इन स्थानों में अच्छे पेड़-पौधे और घास को लगा दिया जाए तो कॉलोनी निवासियों को स्वास्थ्य लाभ, सैर-सपाटे, व्यायाम आदि का अच्छा साधन प्राप्त हो जायेगा। इससे हमारी कॉलोनी की रौनक बढ़ जाएगी। अतएव आपसे सादर निवेदन है कि आप हमारी कॉलोनी के समुचित स्थानों में पार्क की सुव्यवस्था शीघ्र करवा करके हमें कृतार्थ करें। इसके लिए हम सब आपके सदैव आभारी रहेंगे।
भवदीय
शक्तिनगर निवासी
दिनांक : 18 अप्रैल, 20XX
प्रश्नः 4.
नगर निगम के गृहकर अधिकारी को अपना गृहकर का बिल ठीक कराने के लिए पत्र लिखिए।
उत्तरः
गृहकर अधिकारी
दिल्ली नगर निगम
टाउन हाल,
दिल्ली
महोदय
सविनय निवेदन है कि प्रार्थी प्रेम नगर क्षेत्र (शक्ति नगर क्षेत्र) का निवासी है। प्रार्थी का मकान नं० 7330. प्रेम नगर, दिल्ली है। प्रार्थी के गृह-कर (टैक्स) दो बार से पूर्वापेक्षा से कुछ अधिक वसूल किया जा रहा है। इस संबंध में प्रार्थी में आशंका है कि यह गड़बड़ी गृहकर बिल की गड़बड़ी के कारण ही है।
अतः आपसे सादर प्रार्थना है कि प्रार्थी का गृहकर बिल ठीक कराते हुए उससे नियमानुसार गृहकर वसूल करवाने की कृपा करें।
सधन्यवाद
प्रार्थी
मोहन देव
7330, प्रेम नगर,
दिल्ली-110007
दिनांक : 5 अप्रैल, 20XX
प्रश्नः 5.
अपने क्षेत्र में पेड़-पौधों के अनियंत्रित कटाव को रोकने के लिए अपने जिलाधिकारी को एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
जिलाधिकारी महोदय
बदरपुर (बाहरी दिल्ली)
नई दिल्ली
महोदय
सविनय निवेदन है कि हम दक्षिणी दिल्ली के बदरपुर क्षेत्र के निवासी हैं। हमारे इस क्षेत्र में कुछ महीनों से पेड़-पौधों की बेरोक-टोक कटाई हो रही है। इस अंधाधुंध वन-कटाव से हम लोगों का यह क्षेत्र पेड़-पौधों से लगभग रहित-सा हो गया है। चारों ओर एक वीरान दृश्य उपस्थित हो गया है। इससे इस क्षेत्र के पर्यावरण पर बहत गंभीर प्रभाव पड़ने लगा है। हवा जो पेड़ों-पौधों से सुलभ होती है, लगभग दुर्लभ हो रही है। फलतः वायु-प्रदूषण तीव्र गति से बढ़ने लगा है। इससे विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य से संबंधित खतरनाक बीमारियों के फैलने की आशंका बढ़ती जा रही है। अतः अगर निकट भविष्य में इस प्रकार से बेरोक-टोक पेड़-पौधों के कटाव को न रोका गया तो लोगों का जीना दुर्लभ हो जायेगा। आशा है कि आप इस दिशा में उचित कदम उठाकर हमें कृतार्थ करेंगे। इसके लिए हम आपके सदैव आभारी रहेंगे।
सधन्यवाद
भवदीय
बदरपुर क्षेत्र के निवासी,
(बाहरी दिल्ली)
दिनांक : 18 अप्रैल, 20XX
प्रश्नः 6.
परिवहन निगम को अपने गाँव तक बस सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
अध्यक्ष
दिल्ली परिवहन निगम
महरौली टर्मिनल, नई दिल्ली
महोदय
सविनय निवेदन यह है कि हम महरौली क्षेत्र के निवासी हैं। हम लोगों का यह क्षेत्र महरौली-गुड़गाँव मार्ग पर स्थित है। यहाँ तक डी० टी० सी० की कोई भी बस नहीं आती है। केवल कुछ ही वाहन आते-जाते हैं। ये वाहन समय पर न आने के साथ ही कुछ ही समय तक आते-जाते हैं। फलतः आवश्यकतानुसार कोई भी वाहन या आवागमन का साधन इस मार्ग पर सुलभ नहीं है। डी०टी०सी० की बसें एयर फोर्स कैंटीन तक ही आती-जाती हैं। यह हमारे निवास क्षेत्र से लगभग दो किलोमीटर दूर है। फलतः आवागमन की इस असुविधा का घोर अभिशाप इस क्षेत्र के निवासियों को सहना पडता है। इस संबंध में आपको हम सूचित भी कर चुके हैं लेकिन अभी तक इस विषय में हमें न कोई सूचना मिली है और न ही इसके लिए कोई कदम ही उठाया गया है।
आशा है कि अब अवश्य ही कोई न कोई उचित कदम यथाशीघ्र उठाकर हमें कृतार्थ करेंगे।
सधन्यवाद
प्रार्थी
महरौली क्षेत्र के निवासी
नई दिल्ली
दिनांक : 10 मार्च, 20xx
प्रश्नः 7.
अपने मोहल्ले में वर्षा के कारण उत्पन्न हुई जल-भराव की समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट कराने के लिए नगरपालिका के स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
स्वास्थ्य अधिकारी
नगरपालिका
दिल्ली
महोदय
सविनय निवेदन है कि हम सब शक्ति नगर क्षेत्र के निवासी हैं। गत दिनों भयंकर वर्षा के कारण इस क्षेत्र में जगह-जगह पानी भर गया है। नालियों और सीवर के बंद होने के कारण सड़कों की बिगड़ी हुई दशा के कारण जल पाइप कहीं-कहीं कट-फट गए हैं। परिणामस्वरूप जल की बाढ़ आ गयी है। आपके विभाग के संबंधित कर्मचारी बिलकुल ही इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं। यही कारण है कि इस क्षेत्र में चारों ओर जल ही जल दिखाई दे रहा है। इससे न केवल आवागमन की बहुत बड़ी असुविधा उत्पन्न हो गई है अपितु विभिन्न प्रकार की बीमारियों के भी फैल जाने की आशंका बढ़ गई है। अतएव आपसे सादर अनुरोध है कि आप इस दिशा में यथाशीघ्र उचित कदम उठाकर हमें कृतार्थ करें। इसके लिए हम सदैव अभारी रहेंगे।
भवदीय
शक्तिनगर क्षेत्र के निवासी
दिनांक : 6 मार्च 20XX
प्रश्नः 8.
पुलिस आयुक्त को लाउडस्पीकरों का अनुचित प्रयोग रोकने के लिए पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
पुलिस आयुक्त
माल रोड
दिल्ली
महोदय
मैं अपने इस पत्र द्वारा आपका ध्यान दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर लाउडस्पीकरों के अनुचित प्रयोग की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। आजकल दिल्ली में प्रायः सभी स्थानों पर लाउडस्पीकरों का अनुचित प्रयोग किया जा रहा है। बाजारों, पार्कों तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों, मंदिरों, मस्जिदों तथा गुरुद्वारों में हर समय लाउडस्पीकर बजते रहते हैं। इन लाउडस्पीकरों के बजने से वैसे तो शांति भंग होती ही है, साथ ही विद्यार्थी वर्ग को इससे विशेष हानि उठानी पड़ रही है। परीक्षाएँ निकट आ रही हैं तथा दिन-रात लाउडस्पीकरों के शोर के कारण विद्यार्थी वर्ग एकाग्र होकर पढ़ाई नहीं कर सकता।
अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि लाउडस्पीकरों के प्रयोग की अनुमति अतिआवश्यक कार्य तथा निश्चित समय के लिए ही दें। रात 8 बजे के बाद इनका प्रयोग करने वालों के विरुद्ध उचित कार्यवाही की जाए।
आशा है आप छात्र-वर्ग की इस असुविधा को ध्यान में रखते हुए संबंधित अधिकारियों को उचित निर्देश देंगे।
भवदीय
क.ख.ग.
प्रश्नः 9.
नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी को मोहल्ले की सफ़ाई के विषय में पत्र लिखिए।
उत्तरः
प्रति
स्वास्थ्य अधिकारी
पश्चिमी क्षेत्र, नगर निगम
दिल्ली
महोदय
सविनय निवेदन है कि हम हरिनगर के निवासी अपने क्षेत्र की सफ़ाई की समस्या की ओर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहते हैं। इस मोहल्ले में सफ़ाई का समुचित प्रबंध नहीं है। इसके प्राय: सभी ब्लॉकों में यत्र-तत्र कूड़े के ढेर बिखरे दिखाई देते हैं, जिनसे प्रायः दुर्गंध आती रहती है। नालियों में गंदगी भरी रहती है। इस कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। इस काम के लिए नियुक्त किये गये जमादारों में अधिकांश अपना काम ठीक प्रकार से नहीं करते। यदि उनसे कुछ कहा जाये, तो वे दुर्व्यवहार करने लगते हैं तथा अगले दिन से काम में और भी ढील दे देते हैं।
महोदय ! आजकल गरमी के दिन हैं। नगर के कई भागों में मलेरिया का प्रकोप फैल रहा है। ऐसी अवस्था में स्थान-स्थान पर कूड़े के ढेरों का पड़े रहना, मच्छरों और मलेरिया को निमंत्रण देना ही है। कृपया आप संबंधित अधिकारियों को उचित निर्देश दें जिससे वे हमारे क्षेत्र की सफाई की समस्या को सुलझाकर इस क्षेत्र के निवासियों को मलेरिया के प्रकोप से बचा लें।
धन्यवाद
भवदीय
क.ख.ग.
हरिनगर सुधार समिति, नई दिल्ली।
प्रश्नः 10.
दिल्ली परिवहन निगम के प्रबंध अधिकारी को बस में छूटे सामान के बारे में पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
प्रबंध अधिकारी
दिल्ली परिवहन निगम
सिंधिया हाउस, नई दिल्ली
महोदय
निवेदन है कि मैंने कल दिनांक 28 जनवरी, 20XX को सवेरे 9.35 पर तिलक नगर से 810 नं० की बस केंद्रीय टर्मिनल के लिए पकड़ी थी। बस में काफ़ी भीड़ थी, अतः मुझे खड़े ही जाना पड़ा। मेरे पास एक ब्रीफकेस था जिस पर मेरा पता लिखा हुआ है। केंद्रीय टर्मिनल आने पर मैं जल्दी में उस ब्रीफकेस को बस में छोड़कर ही नीचे उतर गया। अपने दफ़्तर में पहुँचकर मुझे अपने ब्रीफकेस का ध्यान आया। मैंने केंद्रीय टर्मिनल फ़ोन करके पता किया, लेकिन मुझे कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। आशा है कि मेरा ब्रीफकेस आपके यहाँ अवश्य जमा. करा दिया गया होगा। उसका रंग काला है। उस पर मेरा पता लिखा है तथा उसमें मेरे दफ्तर के ज़रूरी कागजात तथा लगभग पाँच सौ रुपये हैं। कृपया उसके बारे में मुझे सूचित करें।
धन्यवाद
भवदीय
क.ख.ग.
आवेदन पत्र
आज रोजमर्रा के जीवन में प्रायः आवेदन पत्र या प्रार्थना पत्र लिखने की आवश्यकता पड़ती है। अवकाश हेतु, किसी विभाग में नियुक्ति हेतु, आवास प्राप्ति हेतु, स्थानांतरण या पदोन्नति हेतु किसी भी विषय में निवेदन करने आदि से संबंधित पत्र आवेदन पत्र या प्रार्थना पत्र कहे जाते हैं।
आवेदन पत्र लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है –
- प्रारंभ-सर्वप्रथम बाईं ओर ‘सेवा में’ या ‘प्रति’ लिखकर ठीक उसके नीचे प्रेषिती का नाम, पदनाम व पूरा पता लिखा जाता है।
- विषय-यहाँ संक्षेप अर्थात् केवल एक पंक्ति में पत्र के विषय को प्रेषित किया जाना चाहिए।
- संबोधन–महोदय/महोदया संबोधन सूचक शब्द ठीक सेवा में की पंक्ति में लिखा जाना चाहिए।
- शिष्टाचार द्योतक शब्द-अल्पविराम के ठीक नीचे मुख्य विषय के प्रारंभ में ‘प्रार्थना है, सविनय निवेदन है, विनम्र निवेदन है’ आदि शब्दों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
- मुख्य विषय-यहाँ मुख्य विषय को सरल, स्पष्ट और संयत भाषा में संक्षिप्त रूप में लिखना चाहिए।
- पत्र का समापन–पत्र की समाप्ति पर सधन्यवाद, सम्मान सहित आदि शब्दों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
- समापन सूचक शब्द-पत्र की समाप्ति पर बाईं ओर भवदीय/भवदीया, प्रार्थी/प्रार्थिनी आदि समापनसूचक शब्दों का प्रयोग कर अल्पविराम लगाना चाहिए।
- नाम और पता-समापनसूचक शब्द के नीचे आवेदनकर्ता को अपने स्पष्ट हस्ताक्षर करने चाहिए और हस्ताक्षर के नीचे कोष्ठक में पूरा नाम लिखकर, पदनाम और स्थाई पता भी लिखना चाहिए।
- तिथि-प्रेषक के पते के बाईं ओर आवेदन करने की तिथि उल्लिखित करनी चाहिए।
- संलग्न-यदि आवेदन पत्र के साथ कोई प्रमाण पत्र या पत्रज्ञात की प्रति संलग्न की गई हो, तो अंत में संलग्नक लिखकर संख्यावार 1, 2, 3 लिखकर उनका उल्लेख कर देना चाहिए।
प्रश्नः 11.
शिक्षा निदेशक को छात्रवृत्ति के लिए एक आवेदन पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
शिक्षा निदेशक
शिक्षा निदेशालय
रामकृष्णपुरम्, दिल्ली
महोदय
सविनय निवेदन है कि प्रार्थी ने इस वर्ष दिल्ली बोर्ड की 10वीं कक्षा सर्वोच्च अंकों में उत्तीर्ण की है। परीक्षा के सभी विषयों में (हिंदी, अंग्रेज़ी, संस्कृत, गणित, विज्ञान व सामाजिक विषय में) 80 प्रतिशत से ऊपर अंक प्राप्त हुए हैं। अतएव आप से सादर प्रार्थना है कि प्रार्थी को उसकी योग्यतानुसार छात्रवृत्ति यथाशीघ्र प्रदान कर उसके मनोबल को बढ़ाने की कृपा करें। इसके लिए प्रार्थी सदैव आपका आभारी रहेगा।
सधन्यवाद
प्रार्थी
क.ख.ग.
सरिता विहार, थाना-बदरपुर
नई दिल्ली
दिनांक 20 जुलाई, 20XX
नोट-इस प्रार्थना पत्र के साथ शिक्षा विभाग का आवेदन-पत्र समुचित अंकों एवं चरित्र प्रमाण पत्रों की प्रतिलिपि संलग्न है।
प्रश्नः 12.
निम्न श्रेणी के लिपिक पद के लिए रेलवे भर्ती बोर्ड नई दिल्ली के सहायक सचिव के नाम आवेदन पत्र लिखिए।
अथवा
जिलाधीश के कार्यालय में टाइपिस्ट के रिक्त पद के लिए आवेदन पत्र लिखिए।
उत्तरः
प्रति
जिलाधीश महोदय
गुड़गाँव (हरियाणा)
मान्यवर
विषय-टाइपिस्ट पद के लिए आवेदन पत्र।
दिनांक 15-2-20XX के नवभारत टाइम्स में आपके कार्यालय के लिए टाइपिस्ट के पदों के लिए प्रार्थना-पत्र आमंत्रित किए गए हैं। मैं भी इस पद के लिए अपनी सेवाएँ प्रस्तुत करना चाहता हूँ।
मेरी शैक्षणिक योग्यताएँ तथा अन्य विवरण इस प्रकार हैं –
- मैंने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, दिल्ली से सन् 1999 में दसवीं कक्षा की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है।
- मैंने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, दिल्ली की ही बारहवीं कक्षा की परीक्षा सन् 2001 में द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की है।
- मैंने एक वर्ष तक हिंदी टंकण तथा आशुलिपि का अभ्यास किया है। टंकण में मेरी गति 45 शब्द प्रति मिनट तथा आशुलिपि में लगभग 100 शब्द प्रति मिनट है। मैंने एक वर्ष सेंट कोलंबस स्कूल में लिपिक का कार्य किया है।
- मैं इक्कीस वर्ष का स्वस्थ नवयुवक हूँ। यदि मुझे सेवा का अवसर प्रदान किया गया तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि अपने कार्य, ईमानदारी, कार्यकुशलता तथा व्यवहार से अपने अधिकारियों को सदैव संतुष्ट रखने का प्रयास करूँगा।
प्रार्थना पत्र के साथ प्रमाण पत्रों तथा प्रशंसा पत्रों की सत्यापित प्रतियाँ संलग्न हैं।
भवदीय
क.ख.ग.
प्रश्नः 13.
नगर निगम के कार्यालय में सहायक पद के लिए एक आवेदन पत्र लिखिए।
उत्तरः
प्रति
मुख्य आयुक्त
नगर निगम
दिल्ली
विषय-सहायक पद के लिए आवेदन पत्र।
माननीय महोदय
दिनांक 25 जनवरी, 20XX के ‘रोजगार समाचार’ में नगर निगम के कार्यालय में सहायक पद के लिए प्रकाशित विज्ञापन के उत्तर में उक्त पद के लिए निवेदन पत्र प्रस्तुत कर रहा हूँ। मेरा व्यक्तिगत विवरण निम्नलिखित है –
- नाम – रमेश चंद्र अग्रवाल
- पिता का नाम – सोमेश चंद्र अग्रवाल
- जन्म तिथि – 28 जनवरी, 19XX
- शैक्षिक योग्यता –
- केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से दसवीं की परीक्षा 19XX में 80 प्रतिशत अंकों के साथ . उत्तीर्ण की।
- केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से 19XX में सीनियर सेकेंडरी परीक्षा 72 प्रतिशत अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण की।
- दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए. (आनर्स) की परीक्षा 20XX में 62 प्रतिशत अंकों से पास की।
- मेरी टंकण गति 60 शब्द प्रति मिनट है।
- कार्यालयी अनुभव – 1. इससे पहले मैं शांति प्रा० लि० कंपनी में छह महीने लिपिक के पद पर कार्य कर चुका हूँ। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यदि आपने मुझे सेवा का अवसर दिया तो मैं पूरी निष्ठा एवं लगन से कार्य कर अपने अधिकारियों को संतुष्ट रखने का पूरा प्रयास करूँगा।
धन्यवाद
प्रार्थी
रमेश चंद्र अग्रवाल
1650, कश्मीरी गेट,
दिल्ली
दिनांक : 20 जुलाई, 20XX
प्रश्नः 14.
सहायक अध्यापक के पद के लिए शिक्षा निदेशक के नाम आवेदन पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
शिक्षा निदेशक
शिक्षा विभाग
दिल्ली
विषय-सहायक अध्यापक पद के लिए आवेदन
मान्यवर
पिछले सप्ताह दिनांक 23 जुलाई, 20XX आपके विभाग की ओर से ‘नवभारत टाइम्स’ में सहायक अध्यापक के रिक्त पदों का विज्ञापन दिया गया था। इस पद के प्रत्याशी के रूप में मैं अपना आवेदन प्रस्तुत कर रहा हूँ। मेरी शैक्षणिक योग्यताओं तथा अन्य उपलब्धियों का विवरण निम्नलिखित है –
- नाम – अमित कुमार शर्मा
- पिता का नाम – सुरेंद्र कुमार शर्मा
- जन्म तिथि – 3 जनवरी, 19XX
- शैक्षणिक योग्यता –
- केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से दसवीं की परीक्षा 19XX में 80 प्रतिशत अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण की।
- केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से 19XX में सीनियर सेकेंडरी परीक्षा 80 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण की।
- दिल्ली विश्वविद्यालय से बी०ए० (आनर्स) की परीक्षा 20XX में 63 प्रतिशत अंकों से पास की।
- रोहतक विश्वविद्यालय से 20XX में एक वर्षीय टीचर-ट्रेनिंग कोर्स किया।
अध्यापन में मेरी विशेष रुचि शुरू से ही रही है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि आपने मुझे यदि सेवा का अवसर प्रदान किया तो मैं निष्ठा से अपना कर्तव्य पालन करूँगा। शिक्षा प्रदान करने के अलावा मैं विद्यार्थियों के व्यक्तिगत विकास तथा चारित्रिक विकास पर भी पूर्ण ध्यान दूंगा।
धन्यवाद
प्रार्थी
क.ख.ग.
(अमित कुमार शर्मा)
26, शांति नगर, दिल्ली
दिनांक : 24 जुलाई, 20XX
प्रश्नः 15.
हिंदुस्तान टाइम्स में उप-संपादक पद के लिए आवेदन पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
हिंदुस्तान टाइम्स
बहादुरशाह ज़फरमार्ग,
नई दिल्ली
विषय-उप-संपादक पद हेतु आवेदन पत्र।
महोदय
23 मार्च, 20… के हिंदुस्तान टाइम्स अखबार के विज्ञापन के माध्यम से पता चला है कि आपको अपने दैनिक पत्र के लिए एक योग्य उप संपादक की आवश्यकता है। मैं अपने आपको इस पद के लिए प्रस्तुत करता हूँ। मेरा परिचय एवं शैक्षणिक योग्यताएँ निम्नलिखित हैं –
- नाम : दिनेश शर्मा
- पिता का नाम : श्री रूपेश शर्मा
- जन्म तिथि : 10 नवंबर, 19XX
- पत्र व्यवहार का पता : 16/39, शक्ति नगर, नई दिल्ली।
- शैक्षणिक योग्यताएँ : कक्षा दसवीं की परीक्षा में प्रथम स्थान कुल 85 प्रतिशत अंकों से प्राप्त किया।
- बारहवीं कक्षा की परीक्षा में प्रथम स्थान कुल 82 प्रतिशत अंकों से प्राप्त किया। हिंदी साहित्य में बी०ए० की उपाधि दिल्ली विश्वविद्यालय से 75 प्रतिशत अंकों के साथ प्राप्त की।
- हिंदी साहित्य में एम०ए० दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्राचार के माध्यम से प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की।
अनुभव : पिछले दो वर्षों से मासिक पत्रिका ‘रश्मि’ के उप-संपादक पद पर कार्य कर रहा हूँ। मेरी कुछ पुस्तकें स्थानीय प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित हो चुकी हैं।
विश्वविद्यालय की परीक्षाओं के प्रमाण पत्र तथा मेरे द्वारा लिखी गई पुस्तकों की प्रतियाँ साथ भेज रहा हूँ।
आशा करता हूँ कि आप मुझे साक्षात्कार का अवसर प्रदान कर मेरी क्षमताओं को आपके सामने उजागर करने का अवसर प्रदान करेंगे।
सधन्यवाद।
प्रार्थी
रतनेश अग्रवाल
16/39, शक्ति नगर
नई दिल्ली
दिनांक : 25-3-20XX
प्रश्नः 16.
समाचार पत्र में विज्ञापित अध्यापक पद हेतु आवेदन पत्र लिखें।
उत्तरः
सेवा में
डी०ए०वी० पब्लिक स्कूल
पश्चिम विहार,
नई दिल्ली
विषय-अध्यापक पद के लिए आवेदन पत्र
महोदय
विनम्र निवेदन है कि दिनांक 3 फरवरी, 20XX के नवभारत टाइम्स में प्रकाशित विज्ञापन से मुझे ज्ञात हुआ है कि आपके विद्यालय में रसायन शास्त्र के लिए प्रशिक्षित (पी०जी०टी०) अध्यापक के लिए स्थान रिक्त है। मैं अपनी सेवाएँ उक्त पद के लिए अर्पित करना चाहता हूँ। मैं अपनी शैक्षणिक तथा अनुभव संबंधी योग्यताएँ लिख रहा हूँ और इस आवेदन-पत्र के साथ अपने प्रमाण पत्रों की सत्यापित प्रतिलिपियाँ संलग्न कर रहा हूँ।
- नाम : राहुल सक्सेना
- पिता का नाम : श्री देवेंद्र सक्सेना
- जन्म तिथि : 18 अगस्त, 19XX
- पत्र व्यवहार का पता : 16/24, नवीन शहर, बुलंदशहर।
- शैक्षणिक योग्यताएँ :
- दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में बी०ए० उत्तीर्ण।
- मेरठ विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में एम०ए० उत्तीर्ण।
- मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से बी०एड० की परीक्षा उत्तीर्ण ।
अनुभव : मैं एक प्राइवेट विद्यालय में अध्यापन कार्य कर रहा हूँ। मुझे दो वर्ष का अनुभव है। उपर्युक्त सेवा काल में मेरे प्रधानाचार्य तथा छात्र मुझसे बहुत प्रसन्न हैं।
आशा है, आप मुझे एक अवसर अवश्य प्रदान करेंगे और मैं एक आदर्श अध्यापक के नाते काम कर सकूँगा। अन्य कोई जानकारी साक्षात्कार के समय दे सकूँगा।
सधन्यवाद
आपका विश्वासी
राहुल सक्सेना
दिनांक : 5-3-20XX
प्रार्थना पत्र
प्रश्नः 17.
प्रधानाचार्य को चरित्र प्रमाण पत्र देने का अनुरोध करते हुए एक प्रार्थना पत्र लिखिए तथा यह भी बताइए कि उसकी आपको क्यों आवश्यकता है।
उत्तरः
सेवा में
प्रधानाचार्य महोदय
भारतीय विद्या भवन, मेहता विद्यालय
कस्तूरबा गांधी मार्ग,
नई दिल्ली
मान्यवर महोदय
सविनय निवेदन है कि मैं 20XX से 20XX तक आपके विद्यालय का छात्र रहा हूँ। मैंने 20XX की सीनियर सेकेंडरी परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की थी। मैंने पढ़ाई के अतिरिक्त वाद-विवाद प्रतियोगिताओं, नाटक, संगीत तथा अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी भाग लिया था। मैंने स्कूल के लिए कई ट्राफियाँ भी जीती थीं। मैं 20XX-20XX में विद्यालय की फुटबाल टीम का कैप्टन भी रहा हूँ। मेरे बारे में अन्य जानकारी मेरे वर्ग आचार्य श्री बी० एन० श्रीवास्तव से आपको मिल जायेगी। मान्यवर, मुझे राष्ट्रीय मिलिटरी कॉलेज के आवेदन पत्र के साथ संलग्न करने के लिए चरित्र प्रमाण पत्र की आवश्यकता है। अतः आप से निवेदन है कि चरित्र प्रमाण पत्र यथाशीघ्र भेजने की कृपा करें।
धन्यवाद
आपका आज्ञाकारी
क.ख.ग.
मेरा पता ……….
………………….
………………….
………………….
दिनांक : 17 जुलाई, 20XX
प्रश्नः 18.
अपने स्कूल के प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र लिखकर खेल संबंधी कठिनाइयाँ सूचित कीजिए और उन्हें दूर करने की प्रार्थना कीजिए।
उत्तरः
सेवा में
प्रधानाचार्य महोदय
रामजस स्कूल नं० 2,
दरियागंज
दिल्ली
मान्यवर
निवेदन है कि हमारा विद्यालय दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ विद्यालयों में गिना जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में प्रसिद्ध होते हुए भी खेलों में हमारे विद्यालय की गिनती अच्छे विद्यालयों में नहीं की जाती। मैं विद्यालय का खेल-कूद कप्तान होने के नाते आपका ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूँ।
हमारे विद्यालय का क्रीड़ा क्षेत्र समतल नहीं है तथा वहाँ गंदगी रहती है। विद्यालय में खेलकूद का सामान भी कम है। विद्यालय का समय समाप्त होने के बाद छात्रों को खेलकूद में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए तथा विभिन्न खेलों के प्रशिक्षकों द्वारा छात्रों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। यदि आपकी ओर से विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया गया, तो मुझे विश्वास है कि विद्यार्थी खेलकूद में भाग लेंगे और हमारे विद्यालय का नाम रोशन करेंगे।
धन्यवाद
आपका आज्ञाकारी
कमल कांत
क्रीड़ा-कप्तान
दिनांक : 6 मार्च, 20XX
प्रश्नः 19.
दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण परीक्षा देने में असमर्थता प्रकट करते हुए अपने प्रधानाचार्य को एक प्रार्थना पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
प्रधानाचार्य
सर्वोदय विद्यालय नं० 1
शक्तिनगर, दिल्ली
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय के कक्षा दसवीं ‘अ’ (अनुक्रमांक 10) का नियमित छात्र हूँ। सड़क पार करते समय एक स्कूटर से टकरा जाने से मुझे गंभीर रूप से चोट लगी है। दोनों पैरों में काफ़ी चोट लगी है। एक पैर तो टूट गया है। सिर फट गया है। डॉक्टर की जाँच के अनुसार मुझे लगभग 20 दिनों तक पूर्ण आराम की आवश्यकता है। अतएव इन दिनों होने वाली परीक्षा में मैं सम्मिलित होने में बिलकुल ही असमर्थ हूँ।
अतएव आप से सादर प्रार्थना है कि आप मुझे 20 दिनों का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें।
सधन्यवाद
आपका आज्ञाकारी छात्र
केशव प्रसाद
कक्षा दसवीं ‘अ’
अनुक्रमांक 10
दिनांक : 5 मार्च, 20xx
प्रश्नः 20.
अपनी आर्थिक कठिनाइयों का वर्णन करते हुए फ़ीस माफ़ करने (शुल्क-मुक्ति ) के लिए प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
श्रीमान् प्रधानाचार्य
हंसराज मॉडल स्कूल
पंजाबी बाग, नई दिल्ली
मान्यवर
मैं आपके विद्यालय में दसवीं ‘ख’ कक्षा का छात्र हूँ। मैं एक अत्यंत निर्धन परिवार से हूँ। मेरे पिता जी नई दिल्ली म्युनिसिपल कारपोरेशन में दफ़्तरी हैं। उनका वेतन कुल मिलाकर छह हज़ार रुपए हैं। मेरे पिता जी के अतिरिक्त हमारे परिवार में और कोई कमाने वाला नहीं है। मेरे अतिरिक्त हमारे घर में चार और पढ़ने वाले हैं। मेरा बड़ा भाई बी० ए० में तथा एक छोटी बहन छठी कक्षा में पढ़ती है। इस स्थिति में परिवार का खर्च बड़ी मुश्किल से चल पाता है।
सूचनार्थ निवेदन है कि मैं प्रत्येक वर्ष अपनी कक्षा में प्रथम आता रहा हूँ। गत परीक्षा में भी मैंने 84 प्रतिशत अंक प्राप्त किये हैं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि भविष्य में भी मैं इसी प्रकार अच्छे अंक लेकर परीक्षाएँ उत्तीर्ण करता रहूँगा। अपने व्यवहार, चरित्र तथा कार्य से सदैव अपने गुरुजनों तथा आपको संतुष्ट रखने का प्रयास करता रहूँगा।
यदि मुझे शुल्क मुक्ति न मिली तो मेरे लिए पढ़ाई जारी रखना कठिन हो जाएगा। अतः आपसे करबद्ध निवेदन है कि मुझे पूर्ण शुल्क मुक्ति प्रदान करके अनुगृहीत करें।
सधन्यवाद
आपका आज्ञाकारी शिष्य
क. ख. ग.
कक्षा ‘ख’
दिनांक : 20 जुलाई, 20XX
संपादक को पत्र
प्रश्नः 21.
अपने नगर के समाचार पत्र के संपादक को एक पत्र लिखकर मोहल्ले में बढ़ रही जुआखोरी की जानकारी दीजिए।
उत्तरः
सेवा में
संपादक
नवभारत टाइम्स
नई दिल्ली
महोदय
मैं आपके इस दैनिक पत्र के माध्यम से आपका ध्यान अपने नगर में बढ़ रही दिनों-दिन जुआखोरी की दुष्प्रवृत्ति और बुरे व्यसनों की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। यह ध्यान देने की बात है कि इस बुरी आदत में बच्चे, जवान और बूढ़े सभी बुरी तरह से फंस चुके हैं। पुलिस ने कई लोगों को इस मामले में गिरफ्तार करके छोड़ दिया है। समय-समय पर पुलिस आती रहती है। फिर भी लोग चोरी-छिपे जुआ खेलते ही रहते हैं। अतएव आप अपने इस समाचार पत्र के माध्यम से प्रशासन को ऐसा कदम उठाने के लिए सुझाव प्रस्तुत करें, जिससे यह बुरी आदत यथाशीघ्र समाप्त की जा सके और हमारा यह नगर फिर अच्छे वातावरण में आगे बढ़ सके।
भवदीय
क.ख.ग.
दिनांक : 2 फरवरी, 20XX
प्रश्नः 22.
अपने क्षेत्र की गंदगी की ओर अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए किसी दैनिक समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
संपादक
नवभारत टाइम्स
नई दिल्ली
महोदय
मैं लोकप्रिय समाचार पत्र ‘नवभारत टाइम्स’ के माध्यम से अपने क्षेत्र में बढ़ती हुई गंदगी की ओर इस क्षेत्र के स्वास्थ्य अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ। इस संदर्भ में यह कहना है कि दिल्ली गेट क्षेत्र के आस-पास आजकल गंदगी बहुत हो गई है। कूड़ों के ढेर जगह-जगह हैं। उन पर विभिन्न प्रकार के जानवर घूमते रहते हैं। कई दिनों से सफ़ाई न होने से नालियों में गंदा पानी जमा हो गया है। फलतः बड़ी बदबू फैल रही है। इससे निकट भविष्य में किसी जानलेवा बीमारी के फैल जाने की आशंका बढ़ रही है।
अतः इस क्षेत्र के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का ध्यान इस समाचार पत्र के माध्यम से न केवल ध्यान आकर्षित करने, अपितु उनको इस दिशा में उचित कदम उठाने के लिए भी आप सुझाव देंगे। इसके लिए हम सब इस क्षेत्र के निवासी आपके सदैव आभारी रहेंगे।
सधन्यवाद
भवदीय
दिल्ली गेट क्षेत्र के निवासी,
नई दिल्ली
दिनांक : 3 मार्च, 20XX
प्रश्नः 23.
अपने क्षेत्र में बिजली के संकट और उससे उत्पन्न कठिनाइयों का वर्णन करते हुए ‘दैनिक हिंदुस्तान’ के संपादक के नाम एक पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
संपादक महोदय
दैनिक हिंदुस्तान
नई दिल्ली
मान्यवर
मैं आपके लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से ‘दिल्ली विद्युत बोर्ड’ के अधिकारियों का ध्यान दिल्ली में बिजली के संकट से उत्पन्न कठिनाइयों की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ तथा दिल्ली निवासियों की कठिनाइयों को अधिकारियों तक पहुँचाना चाहता हूँ। कृपया अपने समाचार पत्र में इसे उचित स्थान पर प्रकाशित करके अनुग्रहीत करें।
मान्यवर, आए दिन दिल्ली की जनता को बिजली का संकट सहना पड़ रहा है। गरमी के मौसम में बिजली के चले जाने से जन-जीवन कितना कठिन हो जाता है तथा लोगों को कितनी कठिनाई का सामना करना पड़ता है, इसका अनुमान आप स्वयं ही लगा सकते हैं।
प्रायः उन्हीं इलाकों की बिजली अधिक जाती है, जो सर्वाधिक भीड़भाड़ के क्षेत्र हैं। चाँदनी चौक, अजमेरी गेट, कश्मीरी गेट इन तीनों क्षेत्रों की बिजली घंटों गायब रहती है। ये तीनों क्षेत्र दिल्ली के भीड़भाड़ से भरे क्षेत्र माने जाते हैं। यहाँ के बाजारों में हज़ारों लोगों की भीड़ रहती है। बिजली के बिना व्यापारियों तथा ग्राहकों को बड़ी परेशानी उठानी पड़ती है। आश्चर्य की बात यह है कि ‘विद्युत-विभाग’ के अधिकारियों को इस बारे में कई बार मौखिक तथा लिखित रूप में सूचित किया गया, लेकिन उन्होंने स्थिति में सुधार लाने के लिए कोई प्रयत्न नहीं किया। अतः आपसे निवेदन है कि संबंधित अधिकारियों को उचित निर्देश दें, जिससे इन क्षेत्रों के निवासियों को बिजली की उचित आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
भवदीय
क.ख.ग.
दिनांक : 31 दिसंबर, 20XX
शिकायती पत्र
प्रश्नः 24.
दिल्ली परिवहन के महाप्रबंधक के नाम एक पत्र लिखिए जिसमें बस कंडक्टर के अभद्र व्यवहार की शिकायत की गई हो।
उत्तरः
प्रति
महाप्रबंधक
दिल्ली परिवहन निगम
इंद्रप्रस्थ एस्टेट
नई दिल्ली
महोदय
निवेदन है कि मैं हरिनगर घंटाघर का निवासी हूँ। मैं प्रतिदिन प्रातः आठ बजे बस रूट नं0 73 में केंद्रीय टर्मिनल के लिए यात्रा करता हूँ। इस बस में प्रायः सभी यात्री जाने-पहचाने हैं, क्योंकि उनमें से अधिकांश प्रतिदिन इसी बस से जाते हैं। दिनांक 05-05-20XX को इस रूट पर चंद्रपाल नाम का संवाहक (कंडक्टर) नियुक्त था। मैंने उसे बीस रुपये दिए तथा केंद्रीय सचिवालय तक का दस रुपये का टिकट देने को कहा। संवाहक महोदय ने दस रुपए का टिकट तो दे दिया, पर शेष बचे दस रुपए बाद में देने को कहा। मैं एक सीट पर बैठ गया। राजेंद्र नगर बस स्टॉप आने पर मैंने संवाहक से अपने शेष दस रुपए माँगे, तो वह आना-कानी करने लगा तथा बोला कि मैंने उसे दस रुपए ही दिए हैं, बीस रुपये का नोट नहीं। चूंकि मैंने बीस रुपये का नोट अपने कई सहयात्रियों के सामने दिया था। उन्होंने भी संवाहक को दस रुपए वापस करने को कहा, परंतु उसने किसी की न सुनी और अपशब्द कहने लगा। मैंने उससे परिवाद-पुस्तिका माँगी, तो उसने इस पर भी आनाकानी की। बोला, ‘तुम्हें जहाँ शिकायत करनी है, करो, मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।’ मुझे एक यात्री ने बताया कि जिस दिन भी यह संवाहक इस रूट पर आता है, उस दिन इसी प्रकार कई यात्रियों के शेष पैसे नहीं देता। वे यात्री उतरते समय स्वयं भूल जाते हैं या फिर संवाहक महोदय शेष राशि देने की बात स्वीकार ही नहीं करते।
आपसे अनुरोध है कि आप स्वयं किसी दिन किसी अधिकारी को सादे कपड़ों में इस महाशय की ड्यूटी के समय यात्रा करने का आदेश दें, जिससे वे स्वयं इसके अभद्र व्यवहार तथा आचरण की प्रथम जाँच कर सके। इन संवाहक महोदय के विरुद्ध एक आरोप और भी है-ये बस में धूम्रपान भी करते हैं, जिस पर यदि आपत्ति की जाए, तो इनका अभद्र व्यवहार देखने को मिलता है।
आशा है, आप ऐसे कर्मचारियों को सुधारने के लिए समुचित कार्यवाही करेंगे।
धन्यवाद
भवदीय
सुनील शर्मा
A-31/C, हरिनगर,
नई दिल्ली
दिनांक : 06-05-20XX
प्रश्नः 25.
मनीआर्डर गुम हो जाने की शिकायत करते हुए लोदी रोड, नई दिल्ली के डाकपाल को पत्र लिखिए।
अथवा
मनीआर्डर गुम हो जाने की शिकायत करते हुए डाकपाल को एक पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
डाकपाल महोदय
मुख्य डाकघर, लोदी रोड
नई दिल्ली
महोदय
निवेदन है कि मैंने दिनांक 16 दिसंबर, 20XX को पाँच सौ रुपये का मनीआर्डर अपने पिता श्री चंद्रप्रकाश शर्मा, 18 C, नई मंडी, रोहतक के पते पर लोदी रोड डाकघर से करवाया था। लगभग एक माह का समय बीत चुका है। अभी तक न तो वह मनीआर्डर ही मेरे पिता के पास पहुँचा है और न ही लौटकर मुझे मिला है। मैंने इस संबंध में नई मंडी, रोहतक के डाकघर से भी संपर्क किया, पर मनीआर्डर वहाँ नहीं पहुँचा।
मनीआर्डर की रसीद का नंबर 2307 तथा दिनांक 16-2-20XX है। आप से अनुरोध है कि इस संबंध में आवश्यक जाँचपड़ताल करके मुझे सूचित करवाने का कष्ट करें। आपकी सुविधा के लिए मनीआर्डर की रसीद की फोटो प्रति भी पत्र के साथ संलग्न कर रहा हूँ।
सधन्यवाद
भवदीय
दिनेश शर्मा
P-615, सेवा नगर,
नई दिल्ली
दिनांक : 15 जनवरी, 20XX
प्रश्नः 26.
बिजली बोर्ड के अध्यक्ष को अपने क्षेत्र में बिजली के संकट से उत्पन्न कठिनाइयों के संबंध में पत्र लिखिए।
अथवा
नगर के दिल्ली विद्युत बोर्ड के महाप्रबंधक को पत्र लिखिए जिसमें परीक्षा के दिनों में बार-बार बिजली चले जाने से उत्पन्न असुविधा का वर्णन हो।
उत्तरः
प्रति
अध्यक्ष
दिल्ली विद्युत बोर्ड
दिल्ली
महोदय
मैं इस पत्र द्वारा आपका ध्यान नवीन शाहदरा क्षेत्र में बिजली के संकट से उत्पन्न कठिनाइयों की ओर आकृष्ट कराना चाहता हूँ। नवीन शाहदरा पुस्तक-छपाई उद्योग की दृष्टि से दिल्ली का प्रमुख केंद्र बन गया है। इस क्षेत्र में और भी अनेक लघु उद्योग-धंधे स्थित हैं। इस क्षेत्र में घंटों बिजली नहीं होती, जिसके कारण यहाँ के निवासियों, व्यापारियों तथा विद्यार्थियों को अत्यधिक कठिनाई का सामना करना पड़ता है। बीच-बीच में दस-पाँच मिनट को बिजली आती है, तो राहत का अनुभव होता है, परंतु थोड़ी ही देर में पुनः चली जाने पर ऐसा लगता है, मानो बिजली आँखमिचौली का खेल खेल रही है। यह सिलसिला प्रायः प्रतिदिन चलता है। यदि बिजली जाने का कोई निश्चित समय हो, तो सब्र किया जा सकता है, परंतु अनिश्चितता से सभी को अत्यधिक कष्ट होता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि बिजली आती तो है, पर बहुत कम वोल्ट की, जिससे ट्यूब आदि भी नहीं जलती। हमने दिल्ली विद्युत बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारियों से अनेक बार प्रार्थना की, परंतु हमारी एक न सुनी गई। बिजली के न आने से विद्यार्थियों पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। उनकी पढ़ाई नहीं हो पाती। यदि यह क्रम और जारी रहा, तो इस क्षेत्र के विद्यार्थियों के परीक्षा-परिणाम पर बुरा असर पड़ेगा। उनका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।
बिजली चले जाने से असामाजिक तत्वों को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। आए दिन इस क्षेत्र में चोरी आदि की वारदातें दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। बिजली के न आने से पानी की भी भीषण समस्या उत्पन्न होती है। आप सोच सकते हैं कि गरमी के इन दिनों में यदि बिजली और पानी दोनों ही उपलब्ध न हों, तो जनजीवन कितना अस्तव्यस्त और कष्टमय हो जाता है।
आपसे अनुरोध है कि इस क्षेत्र के निवासियों की इस समस्या को सुलझाने के लिए आवश्यक कदम उठाएँ तथा संबंधित अधिकारियों को उचित निर्देश दें।
आभार सहित
भवदीय
क. ख. ग.
सचिव
नवीन शाहदरा जन-कल्याण समिति, नवीन शाहदरा।
दिनांक : 17-2-20XX
प्रश्नः 27.
डाकतार विभाग की लापरवाही की ओर अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए किसी दैनिक समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेवा में
संपादक महोदय
नवभारत टाइम्स
7, बहादुरशाह जफर मार्ग, नई दिल्ली
विषय-डाकतार विभाग की लापरवाही के विषय में पत्र।
महोदय
मैं आपके लोकप्रिय दैनिक समाचार पत्र में चिट्ठी पत्री स्तंभ के अंतर्गत अपनी यह शिकायत छपवाना चाहता हूँ। मैं दिल्ली नगर का निवासी हूँ। मैंने अपने मित्र के नाम उत्तर प्रदेश, नोएडा के पते पर एक पत्र शीघ्र डाक से दिनांक 20 जनवरी, 20XX को भेजा था। इस पत्र में कुछ अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण कागज थे, जिनका शीघ्र ही उस तक पहुँचना अत्यंत आवश्यक था, लेकिन उसके पास यह पत्र दस दिनों के बाद पहुँचा। इस वजह से उसका बहुत बड़ा नुकसान हुआ। ऐसी केवल यह एक ही घटना नहीं है। अनेक लोग डाक-तार विभाग की अव्यवस्था के शिकार हैं।
मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि इस संदर्भ में आप अपने समाचार पत्र में छापे तथा संबंधित अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट करने का प्रयत्न करें, ताकि इस ओर उचित कदम उठाकर इस अव्यवस्था को सुधारा जाए। आम जनता को इस अव्यवस्था से आगे किसी और तरह की असुविधा न उठानी पड़े।
इसके लिए मैं आपका अत्यंत आभारी रहूँगा।
धन्यवाद सहित
भवदीय
राहुल त्यागी
26/2, मॉडल टाउन, दिल्ली
दिनांक : 2-2-20XX
प्रश्नः 28.
गलत किताबें प्रेषित करने के लिए पुस्तक विक्रेता को पत्र लिखें।
उत्तरः
सेवा में
श्रीमान् व्यवस्थापक महोदय
पुस्तक महल
दरियागंज, नई दिल्ली
विषय-गलत किताबें प्रेषित करने के लिए शिकायत।
प्रिय महोदय
आपके द्वारा प्रेषित दिनांक 5 अप्रैल, 20XX का पार्सल हमें प्राप्त हुआ। यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि जिन किताबों का हमने ऑर्डर दिया था, वे किताबें हमें उस पार्सल में नहीं मिली। हमने आपसे सरस भारती भाग-3 की 20 प्रतियाँ मँगाई थीं, लेकिन आपने सरस भारती के भाग-1 तथा कथा कलश के भाग-2 की प्रतियाँ भिजवा दी हैं।
आपकी तरफ से की गई इस लापरवाही से अनेक विद्यार्थियों के लिए परेशानी खड़ी हो गई है। कृपया इस पत्र के प्राप्त होते ही मँगाई गई पुस्तकों का पार्सल भेजने की कृपा करें। आशा है आप इस संबंध में विलंब करके हमें निराश नहीं करेंगे।
भवदीय
भरत बुक डिको
अलीगढ़
दिनांक : 7 अप्रैल, 20XX
व्यावसायिक पत्र
प्रश्नः 29.
वी०पी०पी० द्वारा पुस्तकें मँगाने के लिए प्रकाशक को एक पत्र लिखिए।
उत्तरः
4/44, सफदरजंग एनक्लेव
नई दिल्ली
दिनांक : 26 फरवरी, 20XX
व्यवस्थापक महोदय, फ्रैंक एजुकेशनल ऐड्स प्रा०लि०,
ए-39, सेक्टर-4, नोएडा
प्रिय महोदय
कृपया अधोलिखित पुस्तकें वी०पी०पी० द्वारा दिए गए पते पर यथा शीघ्र भेजने का कष्ट करें। पंद्रह सौ रुपये अग्रिम राशि के रूप में धनादेश (मनीआर्डर) द्वारा भेज दिए गए हैं। कृपया उन्हें बिल में से काट दीजिए। पुस्तकें भेजने से पहले देख लें कि किसी पुस्तक के पृष्ठ कम या फटे हुए न हों। पुस्तकों की पैकिंग ढंग से की गई हो।
पुस्तकों की सूची
- इतिहास (रिफ्रेशर कोर्स) – 3 प्रतियाँ 2018 का संस्करण
- भूगोल (रिफ्रेशर कोर्स) – 3 प्रतियाँ 2018 का संस्करण
- जीव-विज्ञान (रिफ्रेशर कोर्स) – 2 प्रतियाँ 2018 का संस्करण
- अंग्रेज़ी कोर्स (A) (रिफ्रेशर कोर्स) – 3 प्रतियाँ 2018 का संस्करण
- हिंदी (रिफ्रेशर कोर्स) – 3 प्रतियाँ 2018 का संस्करण
भवदीय
क. ख. ग.
मेरा पता
………….
………….
प्रश्नः 30.
गलत माल मिलने की शिकायत करते हुए खेल का सामान बेचने वाले प्रतिष्ठान ‘क्रीड़ा-विहार’ को एक पत्र लिखिए।
उत्तरः
6/11, सुभाष नगर
नई दिल्ली-16
दिनांक : 20 फरवरी, 20XX
व्यवस्थापक महोदय
क्रीड़ा-विहार
दरियागंज, दिल्ली
प्रिय महोदय
निवेदन है कि हमने आपके प्रतिष्ठान को दिनांक 14-12-20XX को खेल के कुछ सामान का आर्डर दिया था। इस आर्डर में निम्नलिखित सामान मँगाया था –
- क्रिकेट बैट (कश्मीर) – 5
- बैडमिंटन रैकिट (स्पेशल क्वालिटी) – 10
- फुटबाल (नं० 777) 4
- क्रिकेट बॉल (स्पेशल क्वालिटी नं० 36) -10
- हॉकी स्टिक (सुपर जेट क्वालिटी) – 20
आपके द्वारा भेजे गये बिल सं० 1674 2-1-20XX के अनुसार यह सामान हमें 7-1-20XX को प्राप्त हुआ। खेद की बात है कि कुछ सामान उस क्वालिटी का नहीं है तथा फुटबाल के स्थान पर वालीबाल भेजे गये हैं तथा 10 बैडमिंटन के रैकिट की जगह 5 रैकिट तथा 5 क्रिकेट बैट की जगह 10 बैट भेजे गये हैं। अतः यह सामान वापस भेजा जा रहा है। कृपया उचित सामान शीघ्र भिजवाने का कष्ट करें तथा सामान भेजने से पूर्व निरीक्षण करवा लें कि सही समान ही भेजा जाये।
धन्यवाद सहित
भवदीय
क.ख.ग.
सरकारी पत्र
सरकारी कार्यालयों की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए इन पत्रों को कई श्रेणियों में बाँट दिया गया है। मसलन कई पत्र सूचनाएँ माँगने या भेजने के लिए लिखे जाते हैं। कुछ पत्रों द्वारा मुख्यालय या बड़े अधिकारी अपने अधीनस्थ कार्यालयों या अधीनस्थ कर्मचारियों को आदेश भेजते हैं। कुछ पत्र अखबारों को विभागीय गतिविधियों की जानकारी देने के लिए भेजे जाते हैं। हर श्रेणी के पत्र के लिए एक विशेष स्वरूप निर्धारित कर दिया गया है।
पत्र लिखने का तरीका –
- सरकारी पत्र औपचारिक पत्र की श्रेणी में आते हैं।
- प्रायः ये पत्र एक कार्यालय, विभाग या मंत्रालय से दूसरे कार्यालय, विभाग या मंत्रालय को लिखे जाते हैं।
- पत्र के शीर्ष पर कार्यालय, विभाग या मंत्रालय का नाम व पता लिखा जाता है।
- पत्र के बाईं तरफ फाइल संख्या लिखी जाती है जिससे यह स्पष्ट हो सके कि पत्र किस विभाग दवारा किस विषय के तहत कब लिखा जा
- रहा है। जिसे पत्र लिखा जा रहा है उसका नाम, पता आदि बाईं तरफ लिखा जाता है। कई बार अधिकारी का नाम भी दिया जाता है। ‘सेवा में’ का प्रयोग धीरे-धीरे कम हो रहा है।
- ‘विषय’ शीर्षक के अंतर्गत संक्षेप में यह लिखा जाता है कि पत्र किस प्रयोजन के लिए या किस संदर्भ में लिखा जा रहा
- विषय के बाद बाईं तरफ ‘महोदय’ संबोधन लिखा जाता है।
- पत्र की भाषा सरल एवं सहज होनी चाहिए। क्लिष्ट शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए।
- सटीक अर्थ प्रेषित करने के लिए प्रशासनिक शब्दावली का प्रयोग ही उचित होता है।
- पत्र के बाईं ओर प्रेषक का पता और तारीख दी जाती है।
- अंत में ‘भवदीय’ शब्द का प्रयोग अधोलेख के रूप में होता है।
- भवदीय के नीचे पत्र भेजने वाले के हस्ताक्षर होते हैं। हस्ताक्षर के नीचे कोष्ठक में पत्र लिखने वाले का नाम मुद्रित होता है। नाम के नीचे पदनाम लिखा जाता है।
उदाहरण
अखिल भारतीय साहित्य एवं संस्कृति संस्थान क्षेत्रीय कार्यालय : मुंबई
सेवा में
महानिदेशक
अखिल भारतीय साहित्य एवं संस्कृति संस्थान
तिलक मार्ग, नई दिल्ली-110001
विषय : मोबाइल फ़ोन पर होने वाले व्यय के लिए निर्धारित सीमा
महोदय
कृपया अपने परिपत्र को स्मरण करें जिसकी संख्या 24/13/4/20XX थी, जो 23 नवंबर, 20XX को जारी किया गया था। परिपत्र में हिदायत दी गई थी कि मोबाइल फ़ोन पर महीने में दो हज़ार से अधिक खर्च नहीं किया जाना चाहिए।
इस संबंध में निवेदन है कि मुंबई स्थित क्षेत्रीय कार्यालय की गतिविधियाँ अत्यंत व्यापक हैं। देश के तमाम फ़िल्म और टेलीविज़न निर्माता मुंबई में ही हैं। इनकी वजह से विभिन्न विधाओं के कलाकार बड़ी संख्या में मुंबई में ही निवास करते हैं। साथ ही निदेशक को देश के विभिन्न नगरों में स्थित कार्यालयों एवं क्षेत्रीय कार्यालय से भी निरंतर संपर्क में रहना पड़ता है। साथ ही संस्थान की गतिविधियों के लिए प्रायोजक जुटाने के सिलसिले में देश के विभिन्न औद्योगिक संगठनों से भी लगातार बात करनी पड़ती है।
ऊपर बताए तथ्यों की वजह से दो हज़ार रुपए मासिक की सीमा मुंबई कार्यालय के लिए कम पड़ रही है। पिछले छह महीनों से यह देखा जा रहा है कि मासिक खर्च छह हज़ार रुपए के आसपास आता है।
अतः निवेदन है कि मुंबई कार्यालय की विशेष स्थिति को ध्यान में रखते हुए मोबाइल फ़ोन पर मासिक खर्च की सीमा बढ़ाकर छह हज़ार रुपए कर दी जाए।
भवदीय
(राकेश कुमार)
निदेशक
अर्ध सरकारी पत्र
औपचारिक पत्र के विपरीत अर्ध सरकारी पत्र में अनौपचारिकता का पुट होता है। इसमें एक मैत्री भाव होता है। अर्ध सरकारी पत्र तब लिखे जाते हैं जब लिखने वाला अधिकारी संबंधित अधिकारी को व्यक्तिगत स्तर पर जानता है।
इस प्रकार का पत्र ऐसी स्थिति में भी लिखा जाता है जब किसी खास मसले पर संबोधित अधिकारी का ध्यान व्यक्तिगत रूप से आकर्षित कराया जाता है या उसका व्यक्तिगत परामर्श लिया जाए।
पत्र लिखने की प्रक्रिया –
- प्रारूप में बाईं ओर शीर्ष पर प्रेषक का नाम होता है। इसके नीचे उसका पदनाम होता है।
- अर्ध सरकारी पत्र के लिए अमूमन कार्यालय के ‘लेटर हेड’ का प्रयोग होता है, अगर उपलब्ध हो।
- पत्र के प्रारंभ में संबोधन के रूप में महोदय या प्रिय महोदय का प्रयोग नहीं होता। ऐसे पत्र में आमतौर पर प्रयोग किया जाने वाला संबोधन ‘प्रिय श्री…’ ‘प्रियवर श्री…’ हो सकता है।
- पत्र के अंत में अधोलेख के रूप में दाहिनी ओर ‘भवदीय’ के स्थान पर ‘आपका’ का प्रयोग किया जाता है।
- अंत में बाईं ओर संबोधित अधिकारी का नाम, पदनाम और पूरा पता दिया जाता है।
उदाहरण
अखिल भारतीय साहित्य एवं संस्कृति संस्थान
महानिदेशालय
गुफरान अहमद
उपमहानिदेशक
प्रिय श्री कुमार
कृपया 15 मार्च, 20XX और 26 अप्रैल, 20XX को भेजे गए अपने पत्रों का स्मरण करें, जो मोबाइल फ़ोन पर किए जाने वाले मासिक व्यय की सीमा बढ़ाने के बारे में थे।
आपके अनुरोध पर कार्रवाई की जा रही है। चूँकि व्यय सीमा में बढ़ोतरी के लिए बोर्ड की अनुमति आवश्यक है अतः हम इस मसले को बोर्ड की अगली बैठक में प्रस्तुत करेंगे।
इस मसले पर बोर्ड के निर्णय से हम आपको अवगत करा देंगे।
शुभकामनाओं
सहित
आपका
निदेशक
श्री राकेश कुमार
दूरदर्शन केंद्र, मुंबई
टिप्पण अथवा टिप्पणी
किसी भी विचाराधीन पत्र अथवा प्रकरण को निपटाने के लिए उस पर जो राय, मंतव्य, आदेश अथवा निर्देश दिया जाता है वह टिप्पणी कहलाती है। टिप्पणी शब्द अंग्रेज़ी के नोटिंग शब्द के अर्थ में प्रयुक्त होता है। टिप्पणी लिखने की प्रक्रिया को हम टिप्पण यानी नोटिंग कहते हैं।
टिप्पणी का उद्देश्य उन तथ्यों को स्पष्ट तथा तर्कसंगत रूप से प्रस्तुत करना है जिन पर निर्णय लिया जाना है। साथ ही उन बातों की ओर भी संकेत करना है जिनके आधार पर उक्त निर्णय संभवतः लिया जा सकता है। टिप्पण का उद्देश्य मामलों को नियमानुसार निपटाना है।
टिप्पण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-सहायक स्तर पर टिप्पण तथा अधिकारी स्तर पर टिप्पण।
कार्यालय में टिप्पण कार्य अधिकतर सहायक स्तर पर होता है। इसे आरंभिक टिप्पण या मुख्य टिप्पण कहते हैं जिसमें सहायक विचाराधीन मामले का संक्षिप्त ब्योरा देते हुए उसका विवेचन करता है।
टिप्पण लिखने की प्रक्रिया –
- टिप्पण में सबसे पहले मूल पत्र या पावती में दिए गए विवरण या तथ्य का सार दिया जाता है। फिर निहित प्रस्ताव की व्याख्या की जाती है और संबंधित नियमों-विनियमों का हवाला देते हुए अपनी राय दी जाती है।
- टिप्पणी लिखने के बाद सहायक अधिकारी दाहिनी ओर अपने हस्ताक्षर कर उसे अपने अधिकारी के सम्मुख प्रस्तुत करता है। जिस अधिकारी को प्रस्तुत किया जाना है उसका पदनाम वहाँ बाईं ओर लिखा जाता है।
- टिप्पणी लिखने से पूर्व सहायक के लिए संबंधित विषय को समझना बहुत आवश्यक होता है।
- टिप्पणी अपने आप में पूर्ण एवं स्पष्ट होनी चाहिए। इसमें असली मुद्दे पर अधिक बल देना चाहिए।
- टिप्पणी संक्षिप्त, विषय-संगत, तर्कसंगत और क्रमबद्ध होनी चाहिए।
- टिप्पणकार को अपने विचार संतुलित एवं शिष्ट भाषा में देने चाहिए। इसमें व्यक्तिगत आक्षेप, उपदेश या पूर्वाग्रहों के लिए कोई स्थान नहीं होता।
- टिप्पणी सदैव अन्य पुरुष में लिखी जाती है।
उदाहरण
मुख्य टिप्पण (नोटिंग)
यह टिप्पणी मुंबई स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के निदेशक के उस पत्र से संबंधित है जिसकी फा. संख्या मुंबई/का./5/20XX जो दिनांक 15 मार्च, 20XX को भेजी गई है। पत्र में निदेशक ने मोबाइल फ़ोन के मासिक व्यय पर लगाई गई सीमा को दो हज़ार रुपए से छह हज़ार रुपए तक बढ़ाए जाने का आग्रह किया गया है।
इस संदर्भ में महानिदेशालय दवारा दिनांक 23 नवंबर, 20… को जारी परिपत्र पर ध्यान देना आवश्यक है जो इस फाइल की पृष्ठ संख्या 12 पर है। इस परिपत्र में खर्च की सीमा दो हज़ार रुपए निर्धारित कर दी गई है और किसी भी परिस्थिति में किसी प्रकार की छूट का प्रावधान नहीं है।
इस सिलसिले में कृपया इस फाइल में इसी विषय पर की गई पहले की टिप्पणी को देखें जो पृष्ठ संख्या 8/टिप्पण पर है। टिप्पणी को पढ़ने से स्पष्ट है कि खर्च की सीमा का निर्धारण सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद सोच-समझकर लिया गया है।
यह भी विचारणीय है कि खर्च की सीमा बोर्ड की स्वीकृति से निर्धारित हुई है और बिना बोर्ड की अनुमति के इसमें किसी भी प्रकार का बदलाव संभव नहीं है।
आनुषंगिक टिप्पणी –
सहायक, आरंभिक या मुख्य टिप्पणी को जब संबंधित अधिकारी के पास भेजता है तो वह अधिकारी टिप्पणी पढ़ने के बाद नीचे मंतव्य लिखता है। इसे आनुषंगिक टिप्पणी कहते हैं और यह क्रिया आनुषंगिक टिप्पणी कहलाती है। अगर अधिकारी अपने अधीनस्थ की टिप्पणी से पूरी तरह सहमत है तो इस प्रकार की टिप्पणी की आवश्यकता नहीं होती। अधिकारी अधीनस्थ की टिप्पणी के नीचे या तो केवल हस्ताक्षर भर करता है या ‘मैं उपर्युक्त टिप्पणी से सहमत हूँ’, लिखता है।
अगर अधिकारी अपने अधीनस्थ की टिप्पणी से पूरी तरह सहमत है मगर उसे और सशक्त एवं तर्कसंगत बनाने के लिए अपनी ओर से भी कुछ जोड़ना चाहता है तो वह अपना मंतव्य आनुषंगिक टिप्पणी के रूप में दर्ज कर देता है। यदि अधिकारी पूर्णत: असहमत है या आंशिक रूप से सहमत है तो वह अपने तर्क और कारणों के साथ अपनी आनुषंगिक टिप्पणी करता है।
अधिकारी को अधीनस्थ की टिप्पणी को काटने, बदलने या हटाने का अधिकार नहीं है। वह केवल अपनी सहमति, आंशिक सहमति या असहमति व्यक्त कर सकता है।
आनुषंगिक टिप्पणी प्रायः संक्षिप्त होती है लेकिन असहमति की स्थिति में कई बार इस प्रकार की टिप्पणी बड़ी भी हो सकती है।
उदाहरण
अनुस्मारक –
- जब किसी पत्र, ज्ञापन इत्यादि का उत्तर समय पर प्राप्त नहीं होता तो याद दिलाने के लिए ‘अनुस्मारक’ भेजा जाता है। इसे ‘स्मरण पत्र’ भी कहते हैं।
- इसका प्रारूप औपचारिक पत्र की तरह ही होता है मगर आकार छोटा होता है।
- अनुस्मारक के शुरू में पूर्व पत्र का हवाला दिया जाता है।
- जब एक से अधिक अनुस्मारक भेजे जाते हैं, तो पहले अनुस्मारक को ‘अनुस्मारक-1′, दूसरे ‘अनुस्मारक’, तीसरे को ‘अनुस्मारक-3’ इत्यादि लिखते हैं।
उदाहरण
अखिल भारतीय साहित्य एवं संस्कृति संस्थान
क्षेत्रीय कार्यालय : मुंबई ।
सेवा में
महानिदेशक
अखिल भारतीय साहित्य एवं संस्कृति संस्थान,
तिलक मार्ग, नई दिल्ली-110001
विषय : मोबाइल फ़ोन पर होने वाले व्यय के लिए निर्धारित सीमा
महोदय
कृपया उपर्युक्त विषय पर इस कार्यालय द्वारा भेजे गए समसंख्यक पत्र का स्मरण करें जो 15 मार्च, 20xx को भेजा गया था।
निवेदन है कि मोबाइल फ़ोन की मासिक व्यय सीमा को बढ़ाने संबंधी इस कार्यालय के अनुरोध पर विचार कर कृपया आवश्यक स्वीकृति जारी की जाए।
भवदीय
निदेशक
(राकेश कुमार)
टिप्पण अथवा टिप्पणी
यह अपने स्वरूप में आरंभिक या मुख्य टिप्पणी से काफ़ी मिलती है। चूँकि यह टिप्पणी फाइल के ऊपर लिखकर स्वतंत्र रूप से भेजी जाती है। अतः इसके लिए यह आवश्यक हो जाता है कि यह अपने आप में संपूर्ण हो और केवल इस टिप्पणी को पढ़ लेने भर से पूरा मसला समझ में आ जाए। यदि आवश्यक हो तो संदर्भ के लिए किसी पिछली टिप्पणी, पत्र, ज्ञापन इत्यादि को संलग्नक के रूप में टिप्पणी के साथ लगाया जा सकता है।
बोर्ड के पास भेजी जाने वाली स्वतः स्पष्ट टिप्पणी किसी मसले पर बोर्ड की स्वीकृति प्राप्त करने के लिए होती है। इसके लिए प्रारंभ में मसले की पृष्ठभूमि दी जाती है और उसके विभिन्न पहलुओं का विवेचन किया जाता है। इसके बाद स्वीकृति क्यों दी जानी चाहिए उसके समर्थन में तर्क दिए जाते हैं। अंत में स्वीकृति प्रदान किए जाने का अनुरोध होता है।
उदाहरण
अखिल भारतीय साहित्य एवं संस्कृति बोर्ड की पचपनवीं बैठक के विचारार्थ प्रस्तुत टिप्पणी विषय-मोबाइल फ़ोन के लिए निर्धारित व्यय सीमा।
बोर्ड ने 12 नवंबर, 20XX को हुई अपनी तैंतालीसवीं बैठक में निर्णय लिया था कि विभिन्न क्षेत्रीय कार्यालयों के निदेशकों को कार्यालय द्वारा प्रदान मोबाइल फ़ोन पर किए जाने वाले खर्च की सीमा दो हज़ार रुपए प्रतिमाह हो (बैठक के कार्यवृत्त का संबंधित अंश संलग्न है)।
बोर्ड के निर्णय का पालन करते हुए महानिदेशालय ने इस संबंध में 23 नवंबर, 20XX को एक परिपत्र जारी किया था। जिसकी एक प्रति संलग्न है।
संस्थान के मुंबई स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में ऐसा महसूस किया जा रहा है कि यह सीमा कार्यालय के दक्ष, सुचारु और प्रभावी संचालन में बाधक बन रही है।
निदेशक ने सूचित किया है कि कार्यालय की गतिविधियों में निरंतर वृद्धि हुई है। जिसकी वजह से निदेशक को मोबाइल फ़ोन का अत्यधिक प्रयोग करना पड़ रहा है। उन्हें विभिन्न विशेषज्ञों, कलाकारों, साहित्यकारों, प्रायोजकों, वरिष्ठ अधिकारियों, सहकर्मियों और अन्य कर्मियों के साथ निरंतर संपर्क में रहना पड़ता है।
कार्यालय की गतिविधियों में जो बढ़ोतरी हुई है उससे कार्यालय का राजस्व भी बढ़ा है। ऐसे में यह आवश्यक प्रतीत होता है कि केंद्र के अनुरोध को स्वीकार करते हुए उनकी मासिक व्यय सीमा दो हज़ार रुपए से बढ़ा कर छह हज़ार रुपए कर दी जाए। बोर्ड के विचारार्थ प्रस्तुत।
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