कार्यालयी पत्र

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह अपने भावों-विचारों और सूचनाओं को दूसरे तक संप्रेषित करना चाहता है। इस कार्य के लिए पत्र सर्वाधिक उत्तम साधन है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने इच्छित व्यक्ति से अपने मन की बात आसानी से कह सकता है। इसके अतिरिक्त, आज का दैनिक जीवन बहुत-जटिल हो गया है। मनुष्य को सरकारी, गैर-सरकारी संस्थाओं आदि से संबंध स्थापित करने पड़ते हैं। इस कार्य में पत्र बहुत ही सहायक सिद्ध हुआ है।

पत्र के प्रकार

पत्र अनेक प्रकार के होते हैं। विषय, संदर्भ, व्यक्ति और स्थिति के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार के पत्रों को लिखने का तरीका भी अलग-अलग होता है। आम तौर पर पत्र दो प्रकार के होते हैं-

(क) अनौपचारिक-पत्र

(ख) औपचारिक-पत्र

(क) अनौपचारिक-पत्र इस तरह के पत्र निकट संबंधियों तथा मित्रों को लिखे जाते हैं। इसमें पत्र पाने वाले तथा लिखने वाले के बीच घनिष्ठ संबंध होता है। यह संबंध पारिवारिक तथा मित्रता का भी हो सकता है। ऐसे पत्रों को व्यक्तिगत-पत्र भी कहा जाता है। इन पत्रों की विषयवस्तु निजी व घरेलू होती है। इनका स्वरूप संबंधों के आधार पर निर्धारित होता है। इन पत्रों की भाषा-शैली में कोई औपचारिकता नहीं होती तथा इनमें आत्मीयता का भाव व्यक्त होता है।

(ख) औपचारिक-पत्र इस तरह के पत्रों में एक निश्चित शैली का प्रयोग किया जाता है। सरकारी, गैर-सरकारी संदभों में औपचारिक स्तर पर भेजे जाने वाले पत्रों को औपचारिक-पत्र कहा जाता है। इनमें व्यावसायिक, कार्यालयी और सामान्य जीवन-व्यवहार के संदर्भ में लिखे जाने वाले पत्रों को शामिल किया जाता है।

औपचारिक-पत्रों के दो प्रकार के होते हैं-

  1. सरकारी, अर्धसरकारी और व्यावसायिक संवभाँ में लिखे जाने वाले पत्र-इनकी विषयवस्तु प्रशासन, कार्यालय और कारोबार से संबंधित होती है। इनकी भाषा-शैली का स्वरूप निश्चित होता है। इनका प्रारूप भी प्राय: निश्चित होता है। सरकारी कार्यालयों, बैंकों और व्यावसायिक संस्थाओं द्वारा किया जाने वाला पत्र-व्यवहार इस वर्ग के अंतर्गत आता है। विभिन्न पदों के लिए लिखे गए आवेदन-पत्र भी इसी वर्ग के हैं।
  2. सामान्य जीवन व्यवहार तथा अन्य विशिष्ट संदर्भों में लिखे जाने वाले पत्र-ये पत्र परिचित एवं अपरिचित व्यक्तियों को तथा विविध क्षेत्रों से संबद्ध अधिकारियों को लिखे जाते हैं। इनका विषयवस्तु आम जीवन से संबद्ध होती है। इनका प्रारूप, स्थिति व संदर्भ के अनुसार परिवर्तन हो सकता है। इसके अंतर्गत शुभकामना-पत्र, बधाई-पत्र, निमंत्रण-पत्र, शोक संवेदना-पत्र, शिकायती-पत्र, समस्यामूलक-पत्र, संपादक के नाम पत्र आदि आते हैं।

पत्र के अंग

पत्र का वर्ग कोई भी हो, उसके चार अंग होते हैं-

  1. पता और दिनांक
  2. संबोधन व अभिवादन शब्दावली
  3. पत्र की सामग्री या कलेवर
  4. पत्र की समाप्ति या समापन भाग

1. पता व दिनांक

अनौपचारिक-पत्र के बाई ओर ऊपर कोने में पत्र लेखक अपना पता लिखता है और उसके नीचे तिथि दी जाती है औपचारिक-पत्र में प्रेषक के विभाग का नाम, पता व दिनांक दी जाती है। इसके बाद बाई ओर प्राप्तकर्ता का नाम, पद, विभाग आदि दिया जाता है।

2. संबोधन तथा अभिवादन

अनौपचारिक स्थिति में-

  • पत्र जिसे लिखते हैं उसे संबोधित करते हैं; जैसे-आदरणीय पिता जी, आदरणीय दादा जी, पूजनीया माता जी, श्रद्धेय ताऊ जी, आदरणीय भैया, प्यारे भाई, प्रिय मित्र आदि।
  • इसके नीचे सम्मानसूचक शब्द अवश्य लिखते हैं; जैसे-प्रणाम, सादर प्रणाम, आशीर्वाद, चरण-स्पर्श, प्रसन्न रहो अादि
  • अभिवादन लिखने के बाद पूर्णविराम अवश्य लगाना चाहिए; जैसे
  • पूज्य पिता जी,
  • प्रणाम।
  • औपचारिक स्थिति में–
  • पत्र शुरू करने से पहले पत्र लिखने का कारण यानी कि विषय अवश्य लिखना चाहिए।
  • विषय लिखने के बाद संबोधन लिखा जाता है; जैसे-श्रीमान, महोदय, मान्यवर आदि।

3. पत्र की सामग्री या कलेवर

अभिवादन के बाद पत्र की सामग्री लिखी जाती है। इसे हम कलेवर भी कह सकते हैं। इसमें हम अपनी बात कहते हैं। कलेवर के संबंध में निम्नलिखित सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए-

  • कलेवर की भाषा सरल होनी चाहिए तथा वाक्य छोटे-छोटे होने चाहिए।
  • लेखक का अर्थ स्पष्ट होना चाहिए।
  • कलेवर बहुत विस्तृत नहीं होना चाहिए।
  • सरकारी-पत्र में यदि काटकर कुछ लिखा जाता है तो उस पर छोटे हस्ताक्षर कर देने चाहिए।
  • पत्र में पुनरुक्ति नहीं होनी चाहिए।
  • पत्र लिखते समय ‘गागर में सागर’ भरने की शैली को अपनाया जाना चाहिए।

4. पत्र की समाप्ति या समापन भाग

  • अनौपचारिक-पत्र के अंत में लिखने वाले और पाने वाले की आयु, अवस्था तथा गौरव-गरिमा के अनुरूप स्वनिर्देश बदल जाते हैं; जैसे- म्हारा, आपका, स्नेही, शुभचिंतक, विनीत आदि।
  • औपचारिक-पत्रों का अंत प्राय: निर्धारित स्वनिर्देश द्वारा होता है; यथा-भवदीय, आपका, शुभेच्छु आदि। इसके बाद पत्र लेखक के हस्ताक्षर होते हैं। औपचारिक-पत्रों में हस्ताक्षर के नीचे प्राय: प्रेषक का पूरा नाम और पद का नाम लिखा जाता है।

विशेष– परीक्षा में प्रेषक के नाम के स्थान पर ‘क, ख, ग, ‘ लिखना चाहिए। पते के स्थान पर ‘परीक्षा भवन’ तथा नगर के स्थान पर ‘क, ख, ग,’ लिख देना चाहिए। इससे उत्तर-पुस्तिका की गोपनीयता भंग नहीं होती।

I. आवेदन-पत्र

प्रश्न 1:

शिक्षा निदेशालय, दिल्ली को विभिन्न विषयों के प्रशिक्षित स्नातक अध्यापकों की आवश्यकता है। इस पद के लिए शिक्षा निदेशक को एक आवेदन-पत्र लिखिए।

उत्तर –

प्रति,

शिक्षा निदेशक

शिक्षा निदेशालय

दिल्ली।

विषय-प्रशिक्षित स्नातक अध्यापकों की भर्ती हेतु आवेदन-पत्र।

महोदय

मुझे 05 फरवरी, 20xx को प्रकाशित दैनिक जागरण समाचार-पत्र से ज्ञात हुआ कि शिक्षा निदेशालय को विभिन्न विषयों के प्रशिक्षित स्नातक अध्यापकों की आवश्यकता है। प्रार्थी भी स्वयं को एक उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत कर रहा है, जिसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-

नाम – मनोज कुमार

पिता का नाम – श्री राम स्वरूप

जन्मतिथि-25 दिसंबर,1991

पता – सी/125 सागरपुर दिल्ली।

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प्रश्न 2:

भारतीय स्टेट बैंक मुंबई के महाप्रबंधक को लिपिक पद के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।

उत्तर –

प्रति,

महाप्रबंधक

भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया

नारीमन प्वाइंट मुंबई।

विषय-लिपिक पद हेतु आवेदन-पत्र।

मान्यवर,

दिनांक 27 जनवरी, 20xx के महाराष्ट्र टाइम्स में प्रकाशित विज्ञापन से ज्ञात हुआ कि आपके कार्यालय में लिपिकों की आवश्यकता है। मैं स्वयं को इस पद के योग्य मानकर आवेदन-पत्र प्रस्तुत कर रही हूँ, मेरा संक्षिप्त व्यक्तिगत विवरण निम्नलिखित है-

नाम – सुमन शर्मा

पिता का नाम – श्री विजय कुमार

जन्मतिथि – 14 दिसंबर, 1987

पता – ए 4/75, गोकुलपुरी, दिल्ली।

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प्रश्न 3:

सुविधा इलेक्ट्रॉनिक्स प्रा० लिमिटेड जालंधर पंजाब को मार्केटिंग एक्जक्यूटिव पद के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।

उत्तर –

प्रति,

प्रबंधक

सुविधा इलेक्ट्रॉनिक्स प्रा० लिमिटेड

जालधर पंजाब।

विषय-मार्केटिंग एक्जक्यूटिव पद के लिए आवेदन-पत्र।

महोदय,

चंडीगढ़ से प्रकाशित दिनांक 25 फरवरी, 20xx के पंजाब केसरी समाचार-पत्र से ज्ञात हुआ कि सुविधा इलेक्ट्रॉनिक्स को कुछ मार्केटिंग एक्जक्यूटिव की आवश्यकता है स्वयं को इस पद के योग्य समझते हुए मैं अपना आवेदन-पत्र प्रेषित कर रहा हूँ। मेरा संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-

नाम – सौरभ सैनी

पिता का नाम – श्री फूल सिंह सैनी

जन्मतिथि – 10 जुलाई, 1992

पता – बी/25, राजा गार्डन, दिल्ली।

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प्रश्न 4:

खादी ग्रामोदयोग बोर्ड, किंग्सवे कैंप, दिल्ली के महाप्रबंधक को विक्रय प्रतिनिधि (सेल्स एक्जक्यूटिव) पद के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।

उत्तर –

प्रति,

महप्रबंधक

खादी ग्रामोद्योग

किंग्सवे कैंप, दिल्ली।

विषय-विक्रय प्रतिनिधि पद हेतु आवेदन-पत्र।

महोदय,

दिनांक 15 सितंबर, 20xx के ‘पंजाब केसरी’ समाचार-पत्र से ज्ञात हुआ कि गांधी जयंती के अवसर पर खादी एवं हथकरघा की बनी वस्तुओं की बिक्री बढ़ाने हेतु इस बोर्ड को विक्रय प्रतिनिधियों की आवश्यकता है। इस पद के लिए मैं भी आवेदन-पत्र भेज रहा हूँ। मेरा संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है-

नाम – आशीष सैनी

पिता का नाम – श्री फूल सिंह सैनी

जन्मतिथि – 15 दिसंबर, 1991

पता – wz15, मौर्या इंक्लेव, पीतमपुरा, दिल्ली।

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प्रश्न 5:

दिल्ली नगर निगम सिविल लाइंस क्षेत्र, दिल्ली के आयुक्त को प्राथमिक अध्यापकों की आवश्यकता है। इस पद के लिए आवेदन-पत्र लिखिए। आप विकास कुमार ए 2/127, अभिनव इंक्लेव, सेक्टर-15, रोहिणी, दिल्ली के निवासी हैं।

उत्तर –

प्रति,

आयुक्त

दिल्ली नगर निगम

सिविल लाइस क्षेत्र

16, राजपुर रोड, दिल्ली।

विषय-प्राथमिक अध्यापक पद हेतु आवेदन-पत्र।

मान्यवर,

दिनांक 15 जनवरी, 20xx के ‘जनसत्ता’ दैनिक समाचार-पत्र से ज्ञात हुआ कि सिविल लाइंस क्षेत्र में प्राथमिक कक्षा के बच्चों को पढ़ाने के लिए अध्यापकों के कुछ पद रिक्त हैं। मैं भी इस पद के लिए अपना आवेदन-पत्र प्रस्तुत कर रहा हूँ। मेरा संक्षिप्त व्यक्तिगत विवरण इस प्रकार है-

नाम – विकास कुमार

पिता का नाम – श्री राम रतन

जन्मतिथि – 10 अक्टूबर, 1992

पता – A2/127, अभिनव इंक्लेव, सेक्टर-15, रोहिणी, दिल्ली।

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