Summary of एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा! Class 10th Kritika Notes
Detailed summary
एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!’ पाठ के लेखक शिव प्रसाद ‘मिश्र’ रुद्र हैं। इस पाठ के माध्यम से लेखक ने गाने-बजाने वाले समाज के आत्मिक प्रेम, देश के प्रति असीम प्रेम, विदेशी शासन के प्रति क्षोभ और पराधीनता की जंजीरों को उतार फेंकने की तीव्र लालसा का वर्णन किया है।
दुलारी का शरीर पहलवानों की तरह कसरती था। वह मराठी महिलाओं की तरह धोती लपेट कर कसरत करने के बाद प्याज और हरी मिर्च के साथ चने खाती थी। वह अपने रोजाना के कार्य से खाली ही नहीं हुई थी कि उसके घर के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी। दरवाजा खोलने पर उसने देखा कि टुन्नू बगल में कोई बंडल दबाए खड़ा था। दुलारी ने टुन को डांटते हुए कहा कि उसने उसे यहाँ आने के लिए मना कर रखा था। टुन्नू उसकी डाँट सुनकर सहम गया। वह उसके लिए गांधी आश्रम की खादी से बनी साड़ी लेकर आया था। वह उसे होली के त्योहार पर नई साड़ी देना चाहता था। दुलारी उसे बुरी तरह फटकारती है कि अभी उसकी उम्र नहीं है ऐसे काम करने की। दुलारी टुन्नू की दी हुई धोती उपेक्षापूर्वक उसके पैरों के पास फेंक देती है। टुन्नू की आँखों से कज्जल- मलिन आँसुओं की बूँदैं साड़ी पर टपक पड़ती हैं। वह अपमानित-सा वहाँ से चला जाता है। उसके जाने के बाद दुलारी धोती उठाकर सीने से लगा लेती है और आँसुओं के धब्बों को चूमने लगती है।
दुलारी छह महीने पहले टुन्नू से मिली थी। भादों की तौज पर खोजवाँ बाजार में गाने का कार्यक्रम था। दुलारी गाने में निपुण थी। उसे पद्य में सवाल-जवाब करने की अद्भुत क्षमता थी। बड़े-बड़े शायर भी उसके सामने गाते हुए घबराते थे। खोजवां बाजार वाले उसे अपनी तरफ से खड़ा करके अपनी जीत सुनिश्चित कर चुके थे उसके विपक्ष में उसके सामने सोलह-सत्रह साल का टुन्नू खड़ा था। टुन्नू के पिता यजमानी करके अपने घर का गुजारा करते थे। टुन्नू को आवारों की संगति में शायरी का चस्का लग गया था। उसने भैरोहेला को उस्ताद बनाकर कजली की सुंदर रचना करना सीख लिया था। टुनू ने उस दिन दुलारी से संगीत में मुकाबला किया। दुलारी को भी अपने से बहुत छोटे लड़के से मुकाबला करना अच्छा लग रहा था। मुकाबले में टुन्नू के मुँह से दुलारी की तारीफ़ सुनकर सुंदर के ‘मालिक’ फेंकू सरदार नै हुन् पर लाठी से वार किया। दुलारी ने टुन्तू को उस मार से बचाया था। दुलारी टुन्नू के जाने के बाद उसी के बारे में सोच रही थी। दुनू उसे आज अधिक सभ्य लगा था दुन्नू ने कपड़े भी सलीके से पहने रखे थे। दुलारी हुन की दी हुई साड़ी अपने संदूक में उठाकर रख दी। उसके मन में टुन्नू के लिए कोमल भाव उठ रहे थे। टुन्नू उसके पास कई दिन से आ रहा था वह उसे देखता रहता था और उसकी बातें बड़े ध्यान से सुनता था। दुलारी का यीवन रहा था। टुन्नू पंद्रह-सोलह वर्ष का लड़का था। दुलारी ने दुनिया देख रखी थी। वह समझ गई कि टूनू और उसका संबंध शरीर का न होकर आत्मा का है। वह यह बात टुन्नू के सामने स्वीकार करने से डर रही थी। उसी समय फेंकू सरदार धोतियों का बंडल लेकर दुलारी की कोठरी में आता है। फेंकू सरदार उसे तीज पर बनारसी साड़ी दिलवाने का वायदा करता है। जब दुलारी और फेंकू सरदार बातचीत कर रहे थे उसी समय उसकी गली में से विदेशी वस्त्रों की होली जला वाली टोली निकली। चार लोगों ने एक चादर पकड़ रखी थी जिसमें लोग धोती, कमीज़, कुरता, टोपी आदि डाल गे थे। दुलारी ने भी फेंकू सरदार का दिया मैचेस्टर तथा लंका-शायर की मिलों की बनी बारीक सूत की मखमली किनारेवाली धोतियों का बंडल फैली चादर में डाल दिया। अधिकतर लोग जलाने के लिए पुराने कपड़े फेंक रहे थे। दुलारी को खिड़की से नया बंडल फेंकने पर सबकी नजर उस तरफ उठ गई। जुलूस के पीछे चल रही खुफिया पुलिस के रिपोर्टर अली सगीर ने भी दुलारी को देख लिया था।
दुलारी ने फेंकू सरदार को उसकी किसी बात पर झाड़ से पीट-पीट कर घर से बाहर निकाल दिया था। जैसे ही फेंक दुलारी के घर से निकला है उसे पुलिस रिपोर्टर मिल जाता है जिसे देखकर वह झेप जाता है। दुलारी के आंगन में रहने वाली सभी स्त्रियाँ इकट्ठी हो जाती हैं। सभी मिलकर दुलारी को शांत करती हैं सब इस बात से हैरान थी कि फेंकू सर दुलारी पर अपना सब कुछ न्योछावर कर रखा था फिर आज उसने उसे क्यों मारा। दुलारी ने कहा कि यदि फेंकू ने उसे रानी बनाकर रखा था तो उसने भी अपनी इज्जत, अपना सम्मान सभी कुछ उसके नाम कर दिया था। एक नारी के सम्मान की कीमत कुछ नहीं है। पैसों से तन खरीदा जा सकता है पर एक औरत का मन नहीं खरीदा जा सकता। उन दोनों के बीच झगड़ा टुन्नू को लेकर हुआ था। सभी स्त्रियाँ बैठी बात कर रही थीं कि झींगुर ने आकर बताया कि टुन्नू महाराज को गोरे सिपाहियों ने मार दिया और लाश भी वे लोग उठाकर ले गए। टुन्नू के मारे जाने का समाचार सुनकर दुलारी की आँखों से अविरल आँसुओं की धारा बह निकली। उसकी पड़ोसिनें भी दुलारी के दिल का हाल जान गई थीं। सभी ने उसके रोने को नाटक समझा। लेकिन दुलारी अपने मन की सच्चाई जानती थी। उसने टुन्नू की दी साधारण खद्दर की धोती पहन ली। वह झींगुर से टुन्नू के शहीदी स्थल का पता पूछकर वहाँ जाने के लिए घर से बाहर निकली। घर से बाहर निकलते ही थाने के मुंशी और फेंकू सरदार ने उसे थाने चलकर अमन सभा के समारोह गाने के लिए कहा।
प्रधान संवाददाता ने शर्मा जी की लाई हुई रिपोर्ट को मेज़ पर पटकते हुए डाँटा और अखबार की रिपोर्टरी छोड़कर चाय की दुकान खोलने के लिए कहा उनके द्वारा लाई रिपोर्ट को उसने अलिफ लैला की कहानी कहा, जिसे प्रकाशित करना वह उचित नहीं समझता। उनकी दी हुई रिपोर्ट को छापने से उसे अपनी अखबार के बंद हो जाने का भय है। इस पर संपादक ने शर्मा जी को रिपोर्ट पढ़ने के लिए कहा। शर्मा जी ने अपनी रिपोर्ट का शीर्षक ‘एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा’ रखा था। उनकी रिपोर्ट के अनुसार “कल छह अप्रैल को नेताओं की अपील पर नगर में पूर्ण हड़ताल रही। खोमचेवाले भी हड़ताल पर थे। सुबह से ही विदेशी वस्त्रों का संग्रह करके उनकी होली जलाने वालों के जुलूस निकलते रहे। उनके साथ प्रसिद्ध कजली गायक टुन्नू भी था। जुलूस टाउन हॉल पहुँच कर समाप्त हो गया। सब जाने लगे तो पुलिस के जमादार अली सगीर ने टुन्नू को गालियाँ दी। टुन्नू के प्रतिवाद करने पर उसे जमादार ने बूट से ठोकर मारी। इससे उसकी पसली में चोट लगी। वह गिर पड़ा और उसके मुँह से खून निकल पड़ा। गोरे सैनिकों ने उसे उठाकर गाड़ी में डाल कर अस्पताल ले जाने के स्थान पर वरुणा में प्रवाहित कर दिया, जिसे संवादादाता ने भी देखा था। इस टुन्नू का दुलारी नाम की गौनहारिन से संबंध था। कल शाम अमन सभा द्वारा टाउन हाल में आयोजित समारोह में, जहाँ जनता का एक भी प्रतिनिधि उपस्थित नहीं था, दुलारी को नचाया-गवाया गया था। टुन्नू की मृत्यु से दुलारी बहुत उदास थी। उसने खद्दर की साधारण धोती पहन रखी थी। वह उस स्थान पर गाना नहीं चाहती थी, जहाँ आठ घंटे पहले उसके प्रेमी की हत्या कर दी गई थी। फिर भी कुख्यात जमादार अली सगीर के कहने पर उसने दर्दभरे स्वर में ‘एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा, कासों मैं पूछ’ गाया और जिस स्थान पर टुन्नू गिरा था उधर ही नजर जमाए हुए गाती रही। गाते-गाते उसकी आँखों से आंसू बह निकले मानो टुन्नू की लाश को वरुणा में फेंकने से पानी की जो बूँदें छिटकी थीं, वे अब दुलारी की आँखों से बह निकली हैं ।” संपादक महोदय को रिपोर्ट तो सत्य लगी परंतु वे इसे छाप नहीं सकते।
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NCERT Solution – एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!
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