कवि परिचय
नजीर अकबराबादी
इनका जन्म आगरा शहर में सन 1735 में हुआ। इन्होने आगरा के अरबी-फ़ारसी के मशहूर अदीबों से तालीम हासिल की। नजीर हिन्दू त्योहारों में बहुत दिलचस्पी लेते थे और शामिल होकर दिलोजान से लुत्फ़ उठाते थे। नजीर दुनिया के रंग में रंगे हुए महाकवि थे।
आदमी नामा कविता का अर्थ- Aadmi Nama Poem Short Summary :
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि नज़ीर अकबराबादी ने आदमी के विभन्न रूपों का वर्णन किया है। उनके अनुसार इस संसार में हर तरह के आदमी बसे हुए हैं, फिर चाहे वो अच्छे हों या ख़राब। उनके अनुसार इन्हीं आदमियों में से कोई ऐसा है, जो दूसरों का भला चाहता है, उनकी सहायता करता है, अगर कोई मदद के लिए पुकारे, तो भाग कर जाता है। इसके ठीक विपरीत कुछ आदमी ऐसे भी हैं, जिनके मन में पाप भरा हुआ है, वे दूसरों से नफरत करते हैं। दूसरों की चीज़ें चुराते हैं। दूसरों की इज़्ज़त से खिलवाड़ करने में उन्हें मज़ा आता है। इस प्रकार उनका यह कथन पूरी तरह से सत्य है कि इस दुनिया में बुरे तथा भले दोनों किस्म के इंसान हैं
Aadmi Nama Class 9 Summary in Hindi – आदमी नामा भावार्थ
दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिश-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
ज़रदार बेनवा है सो है वो भी आदमी
निअमत जो खा रहा है सो है वो भी आदमी
टुकड़े चबा रहा है सो है वो भी आदमी
आदमी नामा भावार्थ : आदमी नामा कविता में कवि नज़ीर अकबराबादी ने मानव के विविध रूपों के बारे में बताया है। उन्होंने आदमी के हर रूप का वर्णन किया है। दुनिया में विभिन्न प्रकार के आदमी होते हैं, जैसे कुछ धनी व्यक्ति होते हैं, तो कुछ गरीब भी होते हैं। कुछ बुद्धिमान व्यक्ति होते हैं, तो कुछ मुर्ख भी होते हैं। यहां कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन खाने वाले व्यक्ति हैं, तो झूठे तथा रूखे-सूखे टुकड़ों को खाकर पलने वाले आदमी भी यहीं मौजूद है।
हर आदमी अलग होता है और उसका अपना अलग काम होता है। इसी कारणवश उनकी जीवन-शैली भी अलग होती है। उनके रहने का तरीका, खान-पान सब कुछ अलग होता है। उनकी जिमेदारियां भी अलग-अलग होती हैं।
इसीलिए कवि अपनी इस कविता में कहता है कि चाहे राजा हो या प्रजा, सब आदमी ही हैं। चाहे ताक़तवर हो या कमजोर, सब आदमी ही हैं।
मसज़िद भी आदमी ने बनाई है यां मियाँ
बनते हैं आदमी ही इमाम और खुतबाख्वाँ
पढ़ते हैं आदमी ही कुरआन और नमाज यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनको ताड़ता है सो है वो भी आदमी
आदमी नामा भावार्थ : प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने आदमी के विभिन्न रूपों का वर्णन करते हुए, उनके कार्यों के बारे में बताया है। उन्होंने यहाँ हमें मस्जिद का उदाहरण देते हुए कहा है कि जिन्होंने मस्जिद का निर्माण किया है, वे भी आदमी हैं। जो मस्जिद के अंदर नमाज़ या कुरान पढ़ाता है, वह भी आदमी है और जो लोग उस नमाज़ या कुरान को पढ़ने जाते हैं, वे भी आदमी हैं।
यहाँ तक कि उनकी चप्पलों को चुराने वाले भी आदमी एवं उनके ऊपर नजर रखकर पहरा देने वाले भी आदमी ही हैं। इस तरह कवि ने यहाँ आदमी के विभिन्न रूपों एवं कार्यो का वर्णन करते हुए, हमें यह बताया है कि दुनिया में पुण्य करने वाले भी आदमी और पाप करने वाले भी आदमी ही हैं।
यां आदमी पै जान को वारे है आदमी
और आदमी पै तेग को मारे है आदमी
पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी
चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी
और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी
आदमी नामा भावार्थ : अपनी इन पंक्तियों में कवि ने आदमी के प्रकृति के बारे में बताया है। कोई आदमी दूसरे आदमी की जान ले लेता है, तो कोई आदमी उसकी जान बचाता है। कोई आदमी किसी को बेइज्जत करता है, तो कोई आदमी उसकी इज्जत बचाने की कोशिश करता है। मदद मांगने के लिए जो पुकार लगता है, वह भी आदमी है और जो वह पुकार सुनकर मदद करने के लिए दौड़ता है, वह भी आदमी ही है। इस तरह कवि ने हमें यह शिक्षा दी है कि मनुष्य विभिन्न प्रकृति के होते हैं। कोई भला करके खुश होता है, तो कोई बुरा करके।
अशराफ़ और कमीने से ले शाह ता वज़ीर
ये आदमी ही करते हैं सब कारे दिलपज़ीर
यां आदमी मुरीद है और आदमी ही पीर
अच्छा भी आदमी ही कहाता है ए नज़ीर
और सबमें जो बुरा है सो है वो भी आदमी
आदमी नामा भावार्थ : इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि शरीफ भी आदमी है और कमीने भी आदमी। जो शाह बनकर गद्दी पे बैठा है, वह भी आदमी और जो उसका वजीर है, वह भी आदमी ही है। किसी को खुश करने के लिए कुछ भी कर देने वाला भी आदमी ही है और उससे खुश होने वाला भी आदमी। किसी को तकलीफ देने वाला भी आदमी और तकलीफ सहने वाला भी आदमी ही है। इस तरह नाजिर अकबराबादी के इस आदमी नामा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि इस संसार में जो अच्छा करता है, वह भी आदमी है और जो बुरा करता है, वह भी आदमी ही है।
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NCERT Solution – आदमी नामा
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