यदि आप इस गद्यांश का चयन करते हैं तो कृपया उत्तर पुस्तिका में लिखिए कि आप प्रश्न संख्या 1 में दिए
गए गद्यांश-1 पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं।
परिश्रम कल्पवृक्ष है। जीवन की कोई भी अभिलाषा परिश्रम रूपी कल्पवृक्ष से पूर्ण हो सकती है। परिश्रम
जीवन का आधार है, उज्ज्वल भविष्य का जनक और सफलता की कुंजी है। सृष्टि के आदि से अद्यतन काल
तक विकसित सभ्यता और सर्वत्र उप्रति परिश्रम का परिणाम है। आज से लगभग पचास साल पहले कौन
कल्पना कर सकता था कि मनुष्य एक दिन चाँद पर कदम रखेगा या अंतरिक्ष में विचरण करेगा पर निरंतर
श्रम की बदौलत मनुष्य ने उन कल्पनाओं एवं संभावनाओं को साकार कर दिखाया है। मात्र हाथ पर हाथ
घरकर बैठे रहने से कदापि संभव नहीं होता।
किसी देश, राष्ट्र अथवा जाति को उस देश के भौतिक संसाधन तब तक समृद्ध नहीं बना सकते जब तक कि
वहाँ के निवासी उन संसाधनों का दोहन करने के लिए अथक परिश्रम नहीं करते। किसी भूभाग की मिट्टी
कितनी भी उपजाऊ क्यों न हो, जब तक विधिवत परिश्रमपूर्वक उसमें जुताई, बुआई, सिंचाई, निराई-गुड़ाई
नहीं होगी, अच्छी फसल प्राप्त नहीं हो सकती। किसी किसान को कृषि संबंधी अत्याधुनिक कितनी ही
सुविधाएं उपलब्ध करा दीजिए, यदि उसके उपयोग में लाने के लिए समुचित श्रम नहीं होगा, उत्पादन क्षमता
में वृद्धि संभव नहीं है। परिश्रम से रेगिस्तान भी अत्र उगलने लगते हैं हमारे देश की स्वतंत्रता के पश्चात हमारी
प्रगति की द्रुतगति भी हमारे श्रम का ही फल है। भाखड़ा नांगल का विशाल बाँध हो या युबा या श्री हरिकोटा
केरॉकेट प्रक्षेपण केंद्र, हरित क्रांति की सफलता हो या कोविड 19 की रोकथाम के लिए टीका तैयार करना,
प्रत्येक सफलता हमारे श्रम का परिणाम है तथा प्रमाण भी है।
जीवन में सुख की अभिलाषा सभी को रहती है। बिना श्रम किए भौतिक साधनों को जुटाकर जो सुख प्राप्त
करने के फेर में है, वह अंधकार में है। उसे वास्तविक और स्थायी शांति नहीं मिलती। गांधीजी तो कहते थे कि
जो बिना श्रम किए भोजन ग्रहण करता है, वह चोरी का अत्र खाता है। ऐसी सफलता मन को शांति देने के
बजाए उसे व्यथित करेगी। परिश्रम से दूर रहकर और सुखमय जीवन व्यतीत करने वाले विद्यार्थी को ज्ञान
कैसे प्राप्त होगा? हवाई किले तो सहज ही बन जाते हैं, लेकिन वे हवा के हल्के झोंके से ढह जाते हैं। मन में मधुर
कल्पनाओं के संजोने मात्र से किसी कार्य की सिद्धि नहीं होती। कार्य सिद्धि के लिए उद्यम और सतत
उद्यम आवश्यक है। तुलसीदास ने सत्य ही कहा है-सकल पदारथ है जग माहीं करमहीन न पावत नाहीं।।
अर्थात इस दुनिया में सारी चीजें हासिल की जा सकती हैं लेकिन वे कर्महीन व्यक्ति को कभी नहीं मिलती हैं।
अगर आप भविष्य में सफलता की फसल काटना चाहते हैं, तो आपको उसके लिए वीज आज ही बोने होंगे.
आज बीज नहीं बोयेंगे, तो भविष्य में फ़सल काटने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? पूरा संसार कर्म और फल
के सिद्धांत पर चलता है इसलिए कर्म की तरफ आगे बढ़ना होगा।
यदि सही मायनों में सफल होना चाहते हैं तो कर्म में जुट जाएं और तब तक जुटे रहें जब तक कि सफल न हो
जाएँ। अपना एक-एक मिनट अपने लक्ष्य को समर्पित कर दें। काम में जुटने से आपको हर वस्तु मिलेगी जो
आप पाना चाहते हैं-सफलता, सम्मान, धन, सुख या जो भी आप चाहते हों।
निम्नलिखित में से निर्देशानुसार सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए। प्रश्न (1) गद्यांश में परिश्रम को कल्पवृक्ष के समान बताया गया है क्योंकि इससे
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(क) भौतिक संसाधन जुटाए जाते हैं
(ख) परिश्रमी व्यक्ति वृक्ष के समान परोपकारी होता है
(ग) इच्छा दमन करने का बल प्राप्त होता है
(घ) व्यक्ति की इच्छाओं की पूर्ण पूर्ति संभव है
Ans- (घ) व्यक्ति की इच्छाओं की पूर्ण पूर्ति संभव है
(2) गद्यांश में अच्छी फ़सल प्राप्त करने के लिए कहे गए कथन से स्पष्ट होता है कि-
(क) भौतिक संसाधनों का दोहन करना आवश्यक है
(ख) संसाधनों की तुलना में परिश्रम की भूमिका अधिक है
(ग) ज्ञान प्राप्त करने के लिए परिश्रम आवश्यक है
(घ) कष्ट करने से ही कृष्ण मिलते हैं
Ans- (ख) संसाधनों की तुलना में परिश्रम की भूमिका अधिक है
(3) भारत के परिश्रम के प्रमाण क्या-क्या बताए गए हैं ?
(क) बाँध, कोविड 19 की रोकथाम काटीका, प्रक्षेपण केंद्र
(ख) कोविड 19 की रोकथाम का टीका, प्रक्षेपण केंद्र, रेगिस्तान
(ग) कोविड 19 की रोकथाम का टीका, प्रक्षेपण केंद्र,हवाई पट्टियों का निर्माण
(घ) वृक्षारोपण,कोविड 19 की रोकथाम का टीका, प्रक्षेपण केंद्र
Ans- (क) बाँध, कोविड 19 की रोकथाम काटीका, प्रक्षेपण केंद्र
(4) कैसे व्यक्ति को अंधकार में बताया गया है ?
(क) श्रमहीन व्यक्ति
(ख) विश्रामहीन व्यक्ति
(ग) नेत्रहीन व्यक्ति
(घ) प्रकाशहीन व्यक्ति
Ans- (क) श्रमहीन व्यक्ति
(5) हवाई किले तो सहज ही बन जाते हैं, लेकिन ये हवा के हल्के झोंके से दह जाते हैं।”
इस कयन के द्वारा लेखक कहना चाहता है कि-
(का तेज़ चक्रवर्ती हवाओं से आवासीय परिसर नष्ट हो जाते हैं
(ख) हवा का रुख अपने पक्ष में परिश्रम से किया जा सकता है
(ग) हवाई कल्पनाओं को सदैव संजोकर रखना असंभव है
(घ) परिश्रमहीनता से वैयक्तिक उपलब्धि नितांत असंभव है
Ans- (घ) परिश्रमहीनता से वैयक्तिक उपलब्धि नितांत असंभव है
(6) सतत उद्यम से क्या तात्पर्य है.
(क निरंतर तपता हुआ उद्यम
(ख) निरंतर परिश्रम करना
(ग) सतत उठते जाना
घ) ज्ञान का सतत उद्गम
Ans- (ख) निरंतर परिश्रम करना
(7) किस अवस्था में प्राप्त सफलतामनको व्यथित करेगी ?
(कासकल पदार्थ द्वारा प्राप्त करने पर
(ख) भौतिक संसाधनों द्वारा प्राप्त करने पर
(ग) दूसरों द्वारा किए गए अथक प्रयासों से
(घ) आसान व श्रमहीन तरीके से प्राप्त करने पर
Ans- (घ) आसान व श्रमहीन तरीके से प्राप्त करने पर
(8) स्वतंत्रता शब्द में उपसर्गव प्रत्यय अलग करने पर होगा-
(क) स्व+तंत्र+ता
(ख) सु+तंत्र +ता
(ग) स + वतंत्र +ता
(घ) स्+वतं+ता
Ans- (क) स्व+तंत्र+ता
9)समुचित’ शब्द का अर्थ है-
(क) उपर्युक्त
(ख) उपयुक्त
(ग) उपभोक्ता
(घ) उपक्रम
Ans- (ख) उपयुक्त
(10) गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक है-
(क) परिश्रम और स्वतंत्रता
(ख) परिश्रम सफल जीवन का आधार
(ग) परिश्रम और कल्पना
(घ) परिश्रम कल्पना की उड़ान
Ans- (ख) परिश्रम सफल जीवन का आधार
( अथवा )
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यदि आप इस गद्यांश का चयन करते हैं तो कृपया उत्तर पुस्तिका में लिखिए कि आप प्रश्न संख्या 1 में दिए गए गद्यांश-2 पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं।
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नीचे दिए गए गदपांश को ध्यानपूर्वक पदिए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए।
विज्ञान प्रकृति को जानने का महत्वपूर्ण साधन है। भौतिकता आज आधुनिक वैज्ञानिक और तकनीकी
प्रगति का स्तर निर्धारित करती है। विज्ञान केवल सत्य, अर्थ और प्रकृति के बारे में उपयोग ही नहीं बल्कि
प्रकृति की खोज का एक क्रम है। विज्ञान प्रकृति को जानने का एक महत्वपूर्ण साधन है। यह प्रकृति को
जानने के विषय में हमें महत्वपूर्ण और विश्वसनीय ज्ञान देता है। व्यक्ति जिस बात पर विश्वास करता है वही
उसका ज्ञान बन जाता है। कुछ लोगों के पास अनुचित ज्ञान होता है और वह उसी ज्ञान को सत्य मानकर
उसके अनुसार काम करते हैं। वैज्ञानिकता और आलोचनात्मक विचार उस समय जरूरी होते हैं जब वह
विश्वसनीय ज्ञान पर आधारित हों। वैज्ञानिक और आलोचक अक्सर तर्कसंगत विचारों का प्रयोग करते हैं।
तर्क हमें उचित सोचने पर प्रेरित करते हैं। कुछ लोग तर्क संगत विचारधारा नहीं रखते क्योंकि उन्होंने कभी
तर्क करना जीवन में सीखा ही नहीं होता।
प्रकृति वैज्ञानिक और कवि दोनों की ही उपास्या है। दोनों ही उससे निकटतम संबंध स्थापित करने की चेष्टा
करते है, किंतु दोनों के दृष्टिकोण में अंतर है। वैज्ञानिक प्रकृति के बाल्य रूप का अवलोकन करता है और सत्य
की खोज करता है, परंतु कवि बाड्य रूप पर मुग्ध होकर उससे भावों का तादात्म्य स्थापित करता है। वैज्ञानिक
प्रकृति की जिस वस्तु का अवलोकन करता है, उसका सूक्ष्म निरीक्षण भी करता है। चंद्र को देखकर उसके
मस्तिष्क में अनेक विचार उठते हैं उसका तापक्रम क्या है, कितने वर्षों में वह पूर्णतः शीतल हो जाएगा,ज्वार-
भाटे पर उसका क्या प्रभाव होता है, किस प्रकार और किस गति से वह सौर मंडल में परिक्रमा करता है और
किन तत्वों से उसका निर्माण हुआ है? वह अपने सूक्ष्म निरीक्षण और अनवरत चिंतन से उसको एक लोक
ठहराता है और उस लोक में स्थित ज्वालामुखी पर्वतों तथा जीवनधारियों की खोज करता है। इसी प्रकार वह
एक प्रफुल्लित पुष्प को देखकर उसके प्रत्येक अंग का विश्लेषण करने को तैयार हो जाता है। उसका प्रकृति-
विषयक अध्ययन वस्तुगत होता है। उसकी दृष्टि में विश्लेषण और वर्ग विभाजन की प्रधानता रहती है। वह
सत्य और वास्तविकता का पुजारी होता है। कवि की कविता भी प्रत्यक्षावलोकन से प्रस्फुटित होती है वह
प्रकृति के साथ अपने भावों का संबंध स्थापित करता है। वह उसमें मानव चेतना का अनुभव करके उसके
साथ अपनी आंतरिक भावनाओं का समन्वय करता है। वह तथ्य और भावना के संबंध पर बल देता है। उसका
वस्तुवर्णन हृदय की प्रेरणा का परिणाम होता है, वैज्ञानिक की भाँति मस्तिष्क की यांत्रिक प्रक्रिया नहीं।
कवियों द्वारा प्रकृति-चित्रण का एक प्रकार ऐसा भी है जिसमें प्रकृति का मानवीकरण कर लिया जाता है
अर्थात प्रकृति के तत्त्वों को मानव ही मान लिया जाता है।
प्रकृति में मानवीय क्रियाओं का आरोपण किया जाता है। हिंदी में इस प्रकार का प्रकृति-चित्रण छायावादी
कवियों में पाया जाता है। इस प्रकार के प्रकृति-चित्रण में प्रकृति सर्वथा गौण हो जाती है। इसमें प्राकृतिक
वस्तुओं के नाम तो रहते हैं परंतु झंकृत चित्रण मानवीय भावनाओं का ही होता है। कवि लहलहाते पौधे का
चित्रण न कर खुशी से झूमते हुए बच्चे का चित्रण करने लगता है
निम्नलिखित में से निर्देशानुसार सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए।
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(1) विज्ञान प्रकृति को जानने का एक महत्वपूर्ण साधन है क्योंकि यह-
(क) समग्र ज्ञान के साथ तादात्म्प स्थापित करता है
(ख) प्रकृति आधुनिक विज्ञान की उपास्या है
(ग) महत्वपूर्ण और विश्वसनीय ज्ञान प्रदान करता है
(घ) आधुनिक वैज्ञानिक का स्तर निर्धारित करता है
Ans- (ग) महत्वपूर्ण और विश्वसनीय ज्ञान प्रदान करता है
(2) ‘वैज्ञानिक प्रकृति के बाहय रूप का अवलोकन करते हैं यह कथन दर्शाता है कि वे
(क) कवियों की तुलना में अधिक श्रेष्ठ हैं
(ख) ज्वारभाटे के परिणाम से बचना चाहते हैं
(ग) वर्ग विभाजन के पक्षधर बने रहना चाहते हैं
(घ) प्रकृति से अविदूर रहने का प्रयास करते हैं
Ans- (घ) प्रकृति से अविदूर रहने का प्रयास करते हैं
(3)सूक्ष्म निरीक्षण और अनवरत चिंतन से तात्पर्य है-
(क) सौर मंडल को एक लोक और परलोक ठहराना
(ख) छोटी-छोटी सी बातों पर चिंता करना
(ग) बारीकी से सोचना व निरंतर देखना
(घ ) बारीकी से देखना और निरंतर सोचना
Ans- (घ ) बारीकी से देखना और निरंतर सोचना
(4) कौन अनवरत चिंतन करता है ?
(क) सूक्ष्माचारी
(ख) विज्ञानोपासक
(ग) ध्यानविलीन योगी
(घ) अवसादग्रस्त व्यक्ति
Ans- (ख) विज्ञानोपासक
(5) कौन वास्तविकता का पुजारी होता है ?
(क) यथार्थवादी
(ख) काव्यवादी
(ग) प्रकृतिवादी
(घ) विज्ञानवादी
Ans- (घ) विज्ञानवादी
(6) कवि की कविता किससे प्रस्फुटित होती है ?
(क) विचारों के मंथन से
(ख) प्रकृति के साक्षात दर्शन से
(ग) भावनाओं की उहापोह से
(घ) प्रेम की तीव्र इच्छा से
Ans- (ख) प्रकृति के साक्षात दर्शन से
(7) कवि के संबंध में इनमें से सही तथ्य है-
(क)ज्वालामुखी के रहस्य जानता है
(ख) जीवधारियों की खोज करता है
(ग) सत्य का उपासक नहीं होता
(घ) प्रफुल्लित पुष्प का अध्ययनकर्ता
Ans- (घ) प्रफुल्लित पुष्प का अध्ययनकर्ता
(8) ‘इत’ प्रत्यय युक्त शब्द कौन-सा है ?
(क) झंकृत
(ख) नित
(ग) ललित
(घ) उचित
Ans- (ख) नित
(9) उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक है
(क) कवि की सोच और वैज्ञानिकता
(ख) प्रकृति के उपासक-कवि और वैज्ञानिक
(गा वैज्ञानिक उन्नति और काव्य जगत
(घ) वैज्ञानिक दृष्टिकोण-अतुलनीय
Ans- (क) कवि की सोच और वैज्ञानिकता
(10) प्रकृति का मानवीकरण दर्शाता है कि-
(क) कल्पना प्रधान व भावोन्मेशयुक्त कविता रची जा रही है
(ख) मानवीकरणअलंकार का दुरुपयोग हो रहा है
(ग) प्रकृति व मानव के सामंजस्य से उदित दीप्ति फैल रही है
(घ) मानव द्वारा प्रकृति का संरक्षण हो रहा है
Ans- (ख) मानवीकरणअलंकार का दुरुपयोग हो रहा है
(11) लहलहाते पौधे का चित्रण न कर झूमते बच्चे का चित्रण करना दर्शाता है कि-
(क) कवि भावावेश में विषय से भटक गए हैं
(ख) प्रकृति के तत्वों को मानव माना है
(ग) कवि वैज्ञानिक विचारधारा के पक्ष में है
(घ) कवि विकास स्तर पर ही है
Ans- (क) कवि भावावेश में विषय से भटक गए हैं
प्रश्न 2 नीचे दो काव्यांश दिए गए हैं। किसी एक काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए. (1×8 = 8)
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यदि आप इस काव्यांश का चयन करते हैं तो कृपया उत्तर पुस्तिका में लिखिए कि आप प्रश्न संख्या 2 में दिए गए काव्यांश 1 पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं।
मैंने हँसना सीखा है
मैं नहीं जानती रोना।
बरसा करता पल-पल पर
मेरे जीवन में सोना।
मैं अब तक जानन पाई
कैसी होती है पीड़ा?
हंस-हंस जीवन में कैसे
करती है चिंता क्रीड़ा?
जग है असार सुनती हूँ
मुझको सुख – सार दिखाता।
मेरी आँखों के आगे
सुख का सागर लहराता।
कहते हैं होती जाती
खाली जीवन की प्याली।
पर मैं उसमें पाती हूँ
प्रतिपल मदिरा मतवाली।
उत्साह,उमंग निरंतर
रहते मेरे जीवन में।
उल्लास विजय का सता
मेरे मतवाले मन में।
आशा आलोकित करती
मेरे जीवन के प्रतिक्षण।
हैं स्वर्ण-सूत्र से वलयित
मेरी असफलता के घन।
सुख भरे सुनहले बादल
रहते हैं मुझको बादल घेरे।
विश्वास, प्रेम, साहस हैं
जीवन के साथी मेरे।।
(1) बरसा करता पल-पल पर मेरे जीवन में सोना”| कवयित्री का सोना से अभिप्राय है-
(क) स्वर्ण
(ख) कंचन
(ग) आनन्द
(घ) आराम
Ans- (ग) आनन्द
(2) असफलता के बादलों को कवयित्री ने किससे घेरकर रखा है ?
(क) असफलता के बादलों को सोने की छड़ी से घेरकर रखा है।
(ख) कवयित्री सफलता में भी असफलता की आशा से भरी रहती है।
(ग) कवयित्री ने असफलता के बादलों को सोने के सूत्र से घेरकर रखा है।
(घ) बादल के बरसने पर निकलने वाली बूंदों से क्योंकि इनसे नव सृजन होता है।
Ans- (ग) कवयित्री ने असफलता के बादलों को सोने के सूत्र से घेरकर रखा है।
(3) कवयित्री द्वारा विश्वास, प्रेम और साहस को अपना जीवन साथी बनाकर रखना यह निष्कर्ष निकालता है कि
(क) अनुकूल परिस्थितियां सदैव वश में नहीं रह सकती।
(ख) विपरीत परिस्थितियों में भी आशा का दामन नहीं छोड़ना चाहिए।
(ग) जीवन में हितकारी साथी सदैव साथ होने चाहिए।
(घ) प्रेम, विश्वास व साहस की डोर सदैव लंबी होती है।
Ans- (ख) विपरीत परिस्थितियों में भी आशा का दामन नहीं छोड़ना चाहिए।
(4) ‘मुझको सुख-सार दिखाता’ कवयित्री को यह अनुभूति कब होती है? और क्यों? समझाइए।
(क) जब लोग संसार को साहित्य विहीन बताते हैं क्योंकि अब लोगों की साहित्य के प्रति रुचि पूर्ववत नहीं रही
(ख) लोगों द्वारा प्रयोजनहीनता दर्शाए जाने पर क्योंकि संसार सुख से भरा हुआ है।
(ग) जब कवयित्री विशाल सागर को फैले हुए देखती है और प्रसत्र होती हैं।
(घ) कवयित्री के अनुसार जीवन में केवल खुशियां ही हैं क्योंकि उन्होंने कभी पीड़ा को नहीं देखा।
Ans- (ख) लोगों द्वारा प्रयोजनहीनता दर्शाए जाने पर क्योंकि संसार सुख से भरा हुआ है।
(5) कवयित्री असफलताओं को किस रूप में स्वीकार करती हैं ?
(क) प्रसत्रता के साथ ग्रहण करती हैं।
(ख) वेदनामयी अवस्था में ग्रहण करती हैं।
(ग) तिरस्कृत कर देती हैं।
(घ) हताश होकर स्वीकार करती हैं।
Ans- (क) प्रसत्रता के साथ ग्रहण करती हैं।
(6)आधुनिक जीवन में भी मनुष्य के सामने अनेक समस्याएं आती हैं।इस कविता के माध्यम से समस्याओं
का समाधान कैसे किया जा सकता है? कविता में निहित संदेश द्वारा स्पष्ट कीजिए।
(क) मनुष्य हताश होकर सहायतार्थ समस्याओं का हल करने का प्रयास अथक भाव से करे।
(ख) मनुष्य हताश न हो और समस्याओं का हल करने का प्रयास अथक भाव से करे।
(ग) निरंतर प्रयासरत रहकर परस्परावलंब से जीवन पथ पर गतिमान रहे।
(घ) सुख और दुख जीवन में आते जाते रहते हैं।
Ans- (ख) मनुष्य हताश न हो और समस्याओं का हल करने का प्रयास अथक भाव से करे।
(7) उत्साह,उमंग निरंतर रहते मेरे जीवन में।
पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार है-
(क ) रूपक
(ख) अनुप्रास
(ग) श्लेष
(घ) उपमा
Ans- (ख) अनुप्रास
(8) कविता के लिए उपयुक्त शीर्षक है-
(क) सुख और दुख
(ख) मेरा जीवन
(ग) मेरा सुख
(घ) परपीडा
Ans- (ख) मेरा जीवन
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