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अपठित काव्यांश प्रश्न उत्तर सहित भाग -1
सुख-दुख मुस्काना नीरज से रहना,
वीरों की माता हूँ वीरों की बहना।
मैं वीर नारी हूँ साहस की बेटी,
मातृभूमि-रक्षा को
वीर सजा देती।
आकुल अंतर की पीर राष्ट्र हेतु सहना,
वीरों की माता हूँ वीरों की बहना।
मात-भूमि जन्म-भूमि
राष्ट्र-भूमि मेरी,
कोटि-कोटि वीर पूत
द्वार-द्वार दे री।
जीवन-भर मुस्काए भारत का अँगना,
वीरों की माता हूँ वीरों की बहना।
1- सुख दुख में मुस्कुराते हुए कैसे रहना चाहिए
(क) धीरज
(ख) धीर
(ग) शीर
(घ) वीर
2- आकुल अंतर की पीड़ा किसके लिए सहनी चाहिए
(क) राष्ट्र
(ख) समाज
(ग) जाति
(घ) धर्म
3- मातृभूमि जन्मभूमि………….. मेरी। उपयुक्त शब्द खाली स्थान में भरिए
(क) देवभूमि
(ख) गांव भूमि
(ग) शहर भूमि
(घ) राष्ट्रभूमि
4- भारत का अंगना कब तक मुस्कुराए
(क) जीवन भर
(ख) उम्र भर
(ग) मुट्ठी भर
(घ) पल भर
5- माता के लिए पर्यायवाची छांटिए
(क) जननी
(ख) दादी
(ग) नानी
(घ) बुआ
उत्तर- 1-क, 2-क, 3-घ, 4-क, 5-क
अपठित काव्यांश प्रश्न उत्तर सहित भाग -2
हर किरण, तेरी संदेश वाहिका
पवन, गीत तेरे गाता
तेरे चरणों को छूने को
लालायित हिमगिरि का माथा!
तुझसे ही सूर्य प्रकाशित है
आलोक सृष्टि में तेरा है,
संपूर्ण सृष्टि का रोम-रोम
चिर ऋणी, उपासक तेरा है!
अगणित आकाश गंगाएँ
नन्हीं बूंदें तेरे आगे
तू आदि-अंत से मुक्त
काल-अस्तित्व हीन तेरे आगे!
हे जगत् नियंता, जगत-पिता,
है व्याप तेरा कितना ईश्वर,
तेरे चरणों में नत मस्तक,
कितनी धरती, कितने अंबर!
1- ईश्वर के चरण चुमने के लिए कौन लालायित रहता है
(क) पहाड़
(ख) नदियां
(ग) दरिया
(घ) हिमगिरी
२- किसका रोम रोम तेरा चिर ऋणी है
(क) छोटी सृष्टि
(ख) बड़ी सृष्टि
(ग) कम सृष्टि
(घ) संपूर्ण सृष्टि
3- तू आदि……….से मुक्त। रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(क) अब
(ख) तक
(ग) अंत
(घ) जब
4- सत्य कथन पर सही का चिन्ह लगाइए
(क) ईश्वर के चरणों में धरती अंबर नतमस्तक हैं
(ख) ईश्वर के चरणों में अंबर और हवा नतमस्तक हैं
(ग) ईश्वर के चरणों में धरती और आग नतमस्तक हैं
(घ) ईश्वर के चरणों में आग और हवा नतमस्तक
5- जगत पिता किसे कहा गया है
(क) ईश्वर
(ख) आज
(ग) संसार
(घ) समाज
उत्तर – 1-घ, 2-घ 3-ग, 4-क, 5-क
अपठित काव्यांश प्रश्न उत्तर सहित भाग -3
क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो।
उसको क्या जो दंतहीन, विषरहित, विनीत, सरल हो।
तीन दिवस तक पंथ माँगते रघुपति सिंधु किनारे ।
बैठे पढ़ते रहे छंद अनुनय के प्यारे-प्यारे।।
उत्तर में जब एक नाद भी उठा नहीं सागर से।
उठी अधीर धधक पौरुष की आग राम के शर से।।
सिंधु देह धर ‘त्राहि-त्राहि’ करता आ गिरा शरण में।
चरण पूज दासता ग्रहण की, बँधा मूढ़ बंधन में ।।
सच पूछो, तो शर में ही बसती है दीप्ति विनय की।
संधि-वचन संपूज्य उसी का जिसमें शक्ति विजय की। ।
1- ‘क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो’ पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?
(क) दुर्बल व्यक्ति का जीवन बेकार है?
(ख) विषैले सर्प किसी को क्षमा नहीं करते
(ग) क्षमा करने की बात उसी व्यक्ति को शोभा देती है, जिसके पास बल हो।
(घ) दुर्बल व्यक्ति किसी को क्षमा करने योग्य नहीं होता।
2- ‘पौरूष की आग राम के शर से’ पंक्ति में निहित अलंकार का नाम चुनिए
(क) रूपक
(ख) अनुप्रास
(ग) उत्प्रेक्षा
(घ) अनुप्रास
3- जब राम की प्रार्थना का समुद्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा तो राम ने क्या किया सबसे उपयुक्त विकल्प चुनिए
(क) राम को बहुत क्रोध आ गया।
(ख) राम ने धनुष संभाल लिया।
(ग) राम ने सागर को सुखाने का निश्चय कर लिया।
(घ) राम ने सागर को सबक सुखाने के लिए अपने तरकश से एक अग्निबाण निकाल लिया।
4- ‘संधि वचन संपूर्ण उसी का जिसमें शक्ति विजय की’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए
(क) दुर्बल व्यक्ति कोई काम नहीं कर सकता।
(ख) दुर्बल व्यक्ति की बात कोई नहीं मानता।
(ग) दुर्बल व्यक्ति का सभी उपहास करते हैं।
(घ) दुर्बल व्यक्ति से संधि प्रस्ताव का कोई औचित्य नहीं है।
5- अनुप्रयुक्त पर्यायवाची शब्द छांटिए
(क) भुजंग
(ख) नाग
(ग) विष
(घ) उरग
उत्तर – 1-ग, 2-क, 3-घ, 4-घ, 5-ग
अपठित काव्यांश प्रश्न उत्तर सहित भाग -4
लोहे के पेड़ हरे होंगे, तू गान प्रेम का गाता चल,
नम होगी यह मिट्टी जरूर, आँसू के कण बरसाता चल।
सिसकियों और चीत्कारों से, जितना भी हो आकाश भरा,
कंकालों का हो ढेर, खप्परों से चाहे हो पटी धरा।
आशा के स्वर का भार, पवन को लेकिन, लेना ही होगा,
जीवित सपनों के लिए मार्ग मुर्दों को देना ही होगा।
रंगों के सातों घट उड़ेल, यह अँधियाली रंग जाएगी,
उषा को सत्य बनाने को जावक नभ पर छितराता चल ।
आदर्शों से आदर्श भिड़े, प्रजा प्रज्ञा पर टूट रही,
प्रतिमा प्रतिमा से लड़ती है, धरती की किस्मत फूट रही
आवर्तों का है विषम जाल, निरुपाय बुद्धि चकराती है,
विज्ञान-यान पर चढ़ी हुई सभ्यता डूबने जाती है।
जब-जब मस्तिष्क जयी होता, संसार ज्ञान से चलता है,
शीतलता की है राह हृदय, तू यह संवाद सुनाता चल।
1- लोहे के पेड़ किसके प्रतीक हैं ?
(क) नकली पेड़
(ख) मशीनें
(ग) मशीनी संस्कृति
(घ) विज्ञान
2- नम होगी यह मिट्टी जरूर कहकर कवि किस ओर संकेत कर रहा है ?
(क) प्रेम के बल पर शुष्क हृदयों में भाव भरे जा सकते हैं
(ख) वर्षा न होने के कारण सूखी मिट्टी वर्षा आने पर नम जरूर हो जाएगी
(ग) सूखी आंखें फिर आंसुओं से नम हो जाएंगी
(घ) इतने आंसू बहाओ की मिट्टी गीली हो जाए
3- दुख और निराशा के वातावरण में मनुष्य का क्या कर्तव्य होना चाहिए ?
(क) सपने देखें और साकार करें
(ख) आशा का संचार करें
(ग) मिट्टी नम करें
(घ) विज्ञान यान पर सवार हो
4- प्रेम की भावना से इस भौतिक बौद्धिक संसार पर विजय पाई जा सकती है यह भाव किस पंक्ति से व्यंजित हो रहा है ?
(क) जीवित सपनों के लिए मार्ग मुर्दों को देना ही होगा
(ख) आशा के स्वर का भार पवन को लेकिन लेना ही होगा
(ग) जब जब मस्तिष्क जयी होता संसार ज्ञान से चलता है
(घ) शीतलता की है राह ह्रदय, तू यह संवाद सुनाता चल
5- विज्ञान यान में कौन सा अलंकार है?
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) उपमा अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) अन्योक्ति अलंकार
उत्तर- 1-ग, 2-क, 3-ख, 4-घ, 5-ग
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